यह कोई मेले का नजारा नहीं बल्कि गोड़हर स्थित रीवा रेलवे स्टेशन का है जहां बुधवार की दोपहर रीवा से जबलपुर जाने वाली शटल ट्रेन में यात्रा के दौरान सीट पाने के लिए यात्री अपने जीवन को भी दांव पर लगाते नजर आ रहे हैं। पैसेंजर ट्रेन में यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में रीवा से यात्री रवाना होते हैं। इस दौरान ट्रेन में सीट यात्रियों को नहीं मिलती यही वजह है कि शटल ट्रेन जैसे ही स्टेशन पर पहुंची यात्री न सिर्फ दरवाजे से बल्कि खिड़की से अपने आप को अंदर करने की जुगत में लगे रहे। दरअसल दोपहर 1.30 बजे जबलपुर से रीवा शटल ट्रेन स्टेशन में पहुंचती है और ठीक आधे घंटे बाद दोपहर 2 बजे जबलपुर के लिए यात्री लेकर रवाना होती है। जिसके चलते शटल ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्री निर्धारित समय से पहले ही स्टेशन में पहुंच जाते हैं और जैसे ही ट्रेन स्टेशन पहुंचती है वो सीट पाने के लिए अपनी सारी जुगत लगाने से नहीं चुकते हैं। जहां कुछ यात्री दरवाजे के रास्ते अंदर जाने का प्रयास करते हैं और इससे यात्रियों को उतरने में समस्या आती है। तो वहीं खिड़की खुली होने की स्थिति में कई यात्री उक्त खिड़की के सहारे क्रेन के अंदर पहुंचकर अपनी सीट सुरक्षित करते हैं।
वैवाहिक आयोजनों के चलते बढ़ी भीड़
पिछले एक माह से आयोजित हो रहे वैवाहिक कार्यक्रमों के चलते रेल यात्रा पर इसका असर देखा जा रहा है। जहां रेल विभाग को अच्छा राजस्व प्राप्त हो रहा है वहीं यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए मशक्कत भी करनी पड़ रही है। रीवा रेलवे स्टेशन की शटल ट्रेन को यह अकेले मामला नहीं है बल्कि रीवा-चिरमिरी, रीवा-बिलासपुर और रीवा से भोपाल जाने वाली रेवांचल ट्रेन के जनरल डिब्बे में इसी तरह के हालात देखे जाते हैं। जनरल डिब्बे में यात्रियों की भीड़ ज्यादा होने के कारण वे सीट पाने के लिए जान जोखिम में डालकर ट्रेन में सवार होने का पूरा प्रयास करने से नहीं चूकते हैं।
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