स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष भी गरीब बच्चों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। दरअसल राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों को निःशुल्क प्रवेश देकर भरना है। लेकिन शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद भी पूरी सीटें नहीं भर पाई हैं। सीटें खाली रह जाने के पीछे कहीं न कहीं विभाग इसमें दोषी है। स्कूल शिक्षा विभाग ने न तो निजी स्कूलों को जागरूक किया और न ही गरीब अभिभावकों के बच्चों को प्रदेश दिलाने निजी विद्यालयों के प्रबंधकों के साथ चर्चा की। विभागीय जानकारी के अनुसार 60 प्रतिशत फार्मों का सत्यपान किया जा चुका है। पहली लाटरी के सत्यापन के बाद प्रवेश शुरू होगा। माना जा सकता है ऑनलाइन इस प्रक्रिया में प्रभारी रुचि नहीं ले रहे हैं।
इसलिए नहीं भर पा रही सीटें
स्कूल चलो अभियान के तहत योजनाओं का लाभ कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलना चाहिए वह उन्हें नहीं मिल पाता है। योजनाओं का प्रचार-प्रसार न होने से लोगों को जानकारी नहीं रहती।
क्या है प्रवेश लेने का नियम
प्रवेश के लिए निवास का प्रमाण पत्र जिसमें मतदाता परिचय पत्र, ग्रामीण क्षेत्र का जॉब कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली का बिल पानी का बिल, अन्य कोई सरकारी दस्तावेज जिसमें पालक के निवास का पता हो शामिल हैं। साथ ही वंचित समूह का प्रमाण पत्र जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति, वनग्राम पट्टाधारी के बच्चों के पालक के राशनकार्ड में उल्लेखित जाति या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज जिसमें जाति का उल्लेख हो एवं पालक अभिभावक के नाम जारी गरीबी रेखा का प्रमाण पत्र प्रवेश के लिए मान्य किया जाता है।
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गरीब तबके के 25 प्रतिशत बच्चों को इस साल निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जाना है। अब तक केवल 60 प्रतिशत फार्मों का सत्यापन हो पाया है। दसअसल जिनके फार्म सही होंगे उन्हें ही प्रवेश दिया जाएगा। सीटों के लिए भी प्रक्रिया चल रही है।
-अरुण सिंह, प्रभारी जिला परियोजना समन्वयक, सीधी
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