सतना। जिले के सबसे बड़े शिक्षाकर्मी घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने 12 आरोपियों को दोषी करार दिया है। 5 लोगों को बरी कर दिया गया है। अदालत ने दोषी घोषित होते ही सभी आरोपियों को हिरासत में लेकर केन्द्रीय जेल भेज दिया है। सजा का एलान मंगलवार को किया जाएगा। लगभग दो दशक पहले हुए इस घोटाले में तत्कालीन जनपद सीईओ, जनपद अध्यक्ष, ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर समेत कुल 20 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इनमें से तीन आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।
बिना निविदा जारी किए कर दी थी 350 शिक्षकों की भर्ती
वर्ष 1998-99 में जिले के मझगवां जनपद के विभिन्न् स्कूलों में वर्ग 3 के शिक्षकों की भर्ती की गई थी। जिसमें बड़े पैमाने पर घोटाला उजागर हुआ था। इसमें अधिकारियों-कर्मचारियों ने राजनीतिक सरंक्षण पाकर गलत ढंग से भर्ती की थी। इसमें गलत ढंग से निविदा जारी की गई और 305 शिक्षकों की गलत ढंग से भर्ती की गई थी। इसके उजागर होने पर लोकायुक्त रीवा ने मामले की जांच की थी। जिसमें 20 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया गया।
इनके खिलाफ एफआईआर
लोकायुक्त रीवा ने तत्कालीन जनपद सीईओ क्षेत्रपाल सिंह चौहान, पूर्व सांसद रामानंद पटेल की बहू व तत्कालीन जनपद अध्यक्ष बेला रानी सिंह, जनपद उपाध्यक्ष रामसनेही यादव, बीईओ केके मिश्रा, प्रेमलाल कुशवाहा, रामकरण यादव, रामजीत कुशवाहा, सुरेश डोहर, मेवालाल भारती, हरदेव सिंह, कुसुमकली सिंह, राजललन सिंह समेत 20 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था।
इस मामले की सुनवाई के दौरान 3 आरोपियों कौशलेन्द्र सिंह, ददन प्रताप सिंह तथा लक्ष्मी प्रसाद नामदेव मौत हो गई। अदालत ने 5 लोगों अमरजीत सिंह, राजेन्द्र मिश्रा, शीतल प्रसाद पटेल, विनोद वर्मा तथा जगदीश त्रिपाठी को बरी कर दिया है।
ये पाये गए दोषी
लोकायुक्त ने अदालत के समक्ष चालान पेश किया था। इसकी सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश देव नारायण शुक्ला की अदालत ने 12 लोगों को भर्ती घोटाला में दोषी माना है उसमें तत्कालीन जनपद सीईओ क्षेत्रपाल सिंह चौहान, जनपद अध्यक्ष बेला रानी सिंह, जनपद उपाध्यक्ष रामसनेही यादव, ब्लाक शिक्षा अधिकारी केके मिश्रा, प्रेमलाल कुशवाहा, रामकरण यादव, रामजीत कुशवाहा, सुरेश डोहर, मेवालाल भारती, हरदेव सिंह, कुसुमकली सिंह, राजललन सिंह शामिल हैं।
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