यह स्थल होंगे विकसित मनमोहन नजारे का आनंद लेंगे पर्यटक , वन विभाग को ईको टूरिज्म प्रोजेक्ट की सौंपी जिम्मेदार
रीवा ..ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने राज्य सरकार ने रीवा जिले के तीन पर्यटक स्थलों का चयन किया है पर्यटकों का आकर्षण बढ़ाने तीनों जगह मूलभूत संसाधन विकसित किए जाएंगे 1 साल पहले भेजे गए प्रस्ताव को राज्य सरकार की स्वीकृति मिल गई है सरकार की मंशा है कि जिन प्राकृतिक स्थलों पर संसाधनों के अभाव के चलते पर्यटक नहीं पहुंच रहे हैं उन्हें आकर्षित करने स्थलों को विकसित किया जाए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे वन विभाग को 5:00 स्थलों को विकसित करने के लिए प्रस्ताव दिया था जिस पर सरकार ने मध्यप्रदेश वन एवं वन्यप्राणी अनुभव नियम 2015 के तहत विकसित करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है
1..टोंस वाटर फॉल- जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर सिरमोर में कौन से जल विद्युत परियोजना स्थित है इसके नजदीक ही पहाड़ के मध्य टोंस जल प्रतिशत प्रतापो की संख्या है यहां तेज गति से पानी का बहाव होता है दूर से सफेद रंग का दृश्य प्रदर्शित होता है इसे स्थानीय लोगों ने दूध धारा के नाम दे रखा है पर्यटक यहां आते हैं लेकिन उन्हें प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने के लिए अभी कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं
2..क्योटी वाटरफॉल -क्योटी का जलप्रताप रीवा से 35 किलोमीटर दूर है यह प्रदेश के प्रमुख जल प्रताप में गिना जाता है चोटी में महानदी पर यह प्रताप है करीब 336 फीट नीचे कुंड में इसका पानी गिरता है यहां हर दिन से सैकड़ों पर्यटक आते हैं सुरक्षा की व्यवस्था नहीं होने के चलते आए दिन हादसे भी होते रहते हैं केवटी में 13वीं शताब्दी का प्राचीन किला भी है जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं
3.. घिनौची धाम- रीवा डबरा मार्ग में जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बरदाहा घाटी के नजदीक स्थित है मुख्य मार्ग से 2 किलोमीटर अंदर जाना पड़ता है धरती के सामान्य सतह से 200 मीटर नीचे है इसे सरकार साहसिक पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित करने की तैयारी कर रही है सन 18 से 83 में इंग्लैंड के अलेवजेंडर कनिघम यहां रिचार्ज करने पहुंचे थे तब से इस स्थल का महत्व और बड़ा है यहां आकर्षक प्राकृतिक दृश्य है जो अन्य स्थानों पर बहुत कम होते हैं पानी की धारा यहां स्थित शिवलिंग का निरंतर जलाभिषेक करती है सदियों पुरानी शैलचित्र भी है जो अपने आप में महत्वपूर्ण माने जाते हैं 10वीं और ग्यारहवीं सदी के शिलालेख भी मिले हैं जिससे स्थल की विशेषता और बढ़ जाती है
वन विभाग को मिली जिम्मेदारी
पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए वन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है विभाग संबंधित स्थलों का कार्य योजना तैयार कर सरकार को भेजेंगे जिसमें पिकनिक स्थल पर पर्यटकों के लिए सुगम पहुंच मार्ग बैठने की व्यवस्था वाहन पार्किंग बाउंड्री सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही संबंधित स्थल से जुड़ी ऐतिहासिक और भौगोलिक जानकारी बोर्ड में प्रदर्शित की जाएगी
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