नीलांबुज पांडेय, सीधी। अमेरिका, ब्रिटेन और जापान तक भारत की ख्याति पहुंचाने वाले सफेद बाघ मोहन के कुनबे से जुड़ी रोचक कहानियों का चश्मदीद गवाह शिवधारी बैगा संजय टाइगर रिजर्व पहुंचने वाले देसी-विदेशी पर्यटकों को ये कहानियां सुना पाएगा, इसे लेकर संशय बढ़ गया है।
उम्र और बीमारी के चलते शरीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर हो चले 75 वर्षीय शिवधारी को टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने करीब 8 माह पहले ब्रांड एम्बेसडर बनाकर ब्रोशर भी छपवाए थे। लेकिन इतने महीनों बाद भी शिवधारी को न तो ब्रांड एंबेसडर के तौर पर आर्थिक लाभ मिला और न ही लोगों को मोहन की कहानी सुनाने का सपना पूरा हो पाया।
रिजर्व में इंफ्रास्ट्रक्चर का चल रहा काम
संजय टाइगर रिजर्व प्रबंधन के मुताबिक रिजर्व क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम चल रहा है जो दो साल बाद पूरा होगा। इसके बाद ही पर्यटकों का यहां आना शुरू होगा और तब ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन शिवधारी को बतौर ब्रांड एंबेसडर लोगों के सामने पेश करेगा। इसके बाद ही वो लोगों को सफेद बाघ मोहन की कहानी सुना पाएगा और विभाग से आर्थिक लाभ भी ले सकेगा।
61साल पहले महाराजा ने पकड़ा था सफेद बाघ को
करीब 61साल पहले जब महाराजा मार्तण्ड सिंह ने 4 जून 1951 को सफेद बाघ मोहन को पकड़ा था, तब शिवधारी बैगा की उम्र महज 14 साल थी। वे अपने पिता सुखदेव के साथ मौजूद थे और सफेद बाघ को पिंजरे में कैद होते हुए देखा था। आज भी वे पनखोरा के जंगल की उस गुफा तक लोगों को डगमगाते पैरों से ले जाते हैं, जहां से मोहन को पकड़ा गया था।
मोहन और राधा ने 34 शावकों को दिया था जन्म
सफेद बाघ मोहन को पकड़ने के बाद महाराजा मार्तण्ड सिंह गोविंदगढ़ के किले में ले आए थे। जहां मनमोहन रूप होने के कारण उसका नाम मोहन रख दिया गया था। सफेद बाघ का कुनबा बाद में यहीं से पूरे विश्व में पहुंचा। मार्तण्ड सिंह ने ब्रिटेन, अमेरिका और जापान नरेशों को इनके शावक बतौर उपहार भेजे थे। करीब 19 साल के जीवन काल में मोहन और फीमेल राधा ने कुल 34 शावकों को जन्म दिया था। जिसमें से 21 सफेद रंग के थे।
इनका कहना है
संजय टाइगर रिजर्व के इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। करीब 2 साल बाद काम पूरा होगा। इसके बाद ही विदेश सहित अन्य प्रांतों से पर्यटक रिजर्व क्षेत्र आएंगे। इसके बाद ही शिवधारी को विभाग से मिलने वाला लाभ दिया जा सकता है। - दिलीप कुमार, सीसीएफ संजय टाइगर रिजर्व, सीधी
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