भोपाल। सीएम शिवराज सिंह सरकार ने लॉबिंग करके भले ही मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर और इनके जैसे कई शहरों को मेट्रो सिटी की लिस्ट में जुड़वा लिया हो लेकिन जहां तक मेट्रो ट्रेन का सवार है तो वो अगले 4 साल तक नहीं आने वाली। 2018 में जो मध्यप्रदेश की नई सरकार बनेगी वो यदि बहुमत से बनी तो 2023 के चुनाव में मेट्रो का श्रेय लूट पाएगी।
मेट्रो ट्रेन के बारे में चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने खुलासा किया है कि मेट्रो परियोजना के लिए कंपनियों ने कर्ज देने से मना कर दिया है। कोई भी कंपनी इसके लिए मप्र को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है। अब यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से कर्ज लेने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना को लेकर बैंक के अधिकारियों ने भोपाल और इंदौर का दौरा किया है।
बैंक ने भारत सरकार की तरफ से परियोजना के अनुमोदन के बाद ही परियोजना के लिए कर्ज देने की बात कही है। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने भारत सरकार को पत्र लिखा है कि उनकी परियोजना का अनुमोदन किया जाए, ताकि मध्यप्रदेश सरकार को विदेशी बैंक कर्ज दे सके। बाबूलाल गौर ने कहा कि सरकार ने मेट्रो मैन कहे जाने वाले ई श्रीधरन से परियोजना का विशेष सलाहकार बनने का आग्रळ किया है। साथ ही गौर ने कहा कि उन्हें लगता है कि आने वाले तीन चार सालों में मेट्रो नहीं चल पाएगी।
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