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रीवा : उद्योग विभाग में अधिकारी से लेकर चपरासी तक धड़ल्ले से ले रहे घूस


इस विभाग में घुसते ही ‘बेरोजगार युवाओं’ को दीमग की तरह चूसने लगते हैं ’सरकारी दामाद’
रीवा। एक ऐसा सरकारी कार्यालय भी है जहां बेरोगार युवा प्रवेश करते ही खुद को लुटवाने लगते हैं। हम बात कर रहे हैं जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र रीवा की। जहां प्रदेश एवं केन्द्र सरकार की महत्वकांछी योजना मुख्यमंत्री युवा उद्यमी एवं स्वरोजगार योजना एवं प्रधानमंत्री युवा स्वरोजगार योजनाओं के लिए आवेदन किए जाते हैं।

केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार जहां एक ओर युवाओं को व्यापार एवं उद्योग लगाने के लिए लोन के जरिए लाभ देने की योजना चला रही है वहीं इसी योजना का लाभ लेने के लिए बेरोजगार युवा जब रीवा जिले के उद्योग एवं व्यापार केन्द्र में प्रवेश करते हैं तो वे सबसे पहले दलालों के शिकार हो जाते हैं। अगर दलालों से बच निकले तो सरकारी चपरासी, बाबू, कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक इन युवाओं को चूसने का काम शुरू कर देते हैं। हालात तो ऐसे हैं कि वहां आवेदक को आवेदन करने से लेकर फाईल पास कराने एवं बैंक से ऋण स्वीकृत कराने का वायदा विभाग की चार दीवारी के अंदर ही बैठे सरकारी दामादों द्वारा किया जाता है। इसके एवज में मोटी रकम उनसे ली जाती है।

कैसे शुरू होता है खेल
सेवा शुल्क अदायगी के बाद फाईल पास होती है। फिर इसके बाद प्रकरण बैंक पहुंचता है, जहां मैनेजर साहब भी ऋण राशि स्वीकृत करने के एवज में एडवांस के तौर पर 10 से 15 परसेंट लेने की बात कहते हैं, जो युवक ये रकम मैनेजर को दे पाते हैं उनका ऋण स्वीकृत हो जाए इसकी भी गारण्टी नही है। जो नही दे पाते उनकी भी फाईल उद्योग विभाग की तरह बैंक में धूल खाती पड़ी रह जाती है, और बैंक मैनेजर टारगेट फुल या फिर गारण्टी की मांग करते नजर आते हैं, जबकि नियमानुसार इस योजना में किसी भी तरह की गारंटी नही ली जा सकती है।

सूत्र बताते हैं कि आवेदक को विभाग के चपरासी से लेकर बाबू, अधिकारी तक अपने झांसे में लेते हैं, जहां उनके द्वारा लोन के परसेंटेज या फिर 5 से 10 हजार रूपए प्रति फाईल के नाम पर ले लिया जाता है। इस रकम को सेवा शुल्क के नाम से भी विभाग में संबोधित किया जाता है। इसके बाद आने वाली मीटिंग में फाईल को पास कराने की ���ात कही जाती है। बेरोजगार युवा लोन मिल जाए इस कारण कहीं से भी व्यवस्था कर उस सेवा शुल्क नामी रकम को विभाग में सौंप देता है। यह सेवा शुल्क फाईल पास होने तक के लिए ही वैध होती है। अगर सेवा शुल्क की अदायगी नही की गई तो आपका प्रकरण विभाग में महीनों-सालों तक एक टेबल से दूसरे टेबल तक घूमता रहेगा।
यही नहीं, विभाग के आसपास ठेले और गुमठियों में फर्जी एमपीऑनलाईन कियोस्कों का जमावड़ा देखा जा सकता है। यह भी जानकारी मिली है कि ये गुमठियां किन्ही और नही विभाग के ही अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा रखवाई गई हैं। जिनमें इनके दलाल बैठते हैं, विभाग से अपने पसंदीदा दलालों की गुमठी पर ही फार्म भरवाने के लिए भेजा जाता है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी एवं स्वरोजगार योजना के लिए शासन द्वारा 120 रूपए शुल्क नियत की गई है, इससे अधिक शुल्क लेने वाले कियोस्कों पर कार्यवाही की बातें एमपीऑनलाईन द्वारा की जाती है, वहां भी आवेदकों से हजार से लेकर 5 हजार तक रूपए फार्म भरने के नाम पर ले लिए जाते हैं। इस रकम में से विभाग के कर्मचारियों को कमीशन जाता है। अक्सर यहां के कर्मचारी, बाबू इन गुमठियों में बैठे भी देखे जा सकते हैं।

विभाग के आसपास फर्जी एमपीऑनलाईन कियोस्कों का जमावड़ा
ठेले एवं गुमठियों पर चल रहे कोई भी कियोस्क नियमानुसार वैधानिक नही हैं। एमपीऑनलाईन के अधिकारी से जब इस संबंध में पूंछतांछ की गई तो उनके द्वारा कहा गया कि ठेले एवं गुमठियों में कियोस्क नही चलाया जा सकता, अगर ऐसा है तो संबंधितों पर कार्यवाही की जावेगी एवं उनका पंजीयन रद्द किया जाएगा।
बहरहाल...शासन की इस महत्वकांछी योजना का लाभ ले पाना टेढ़ी खीर के समान है। जब तक ऐसे घूंसखोर सरकारी दामादों पर शासन की नजर नही पड़ेगी, बेरोजगार युवा लुटता रहेगा और थक हारकर, कहीं न कहीं आपराधिक कृत्यों में लिप्त होते जाएंगे।


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