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RTI आरटीओ विदिशा ने 1 फोटोकॉपी के लिए 100 रुपए मांगे, सूचना आयोग ने लताड़ा


भोपाल। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाओं से देने से बचने के लिए आरटीओ विदिशा द्वारा एक फोटो कॉपी के बदले 100 रुपए की मांग की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि अपीलीय अधिकारी अपर कलेक्टर ने भी आरटीओ का पक्ष लिया और न्याय नहीं किया। राज्य सूचना आयोग ने इस मामले में फटकार लगाते हुए 2 रुपए प्रति कॉपी की दर से सूचना उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। 


मप्र राज्य सूचना आयोग ने साथ ही परिवहन आयुक्त को निर्देशित किया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम के मंतव्य और मप्र सूचना का अधिकार (फीस व अपील) नियम 2005 के नियम 5 (1) को ध्यान में रखते हुए नागरिकों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत चाहे जाने वाले दस्तावेजों की, मप्र मोटर यान नियम के तहत निर्धारित फोटोकापी शुल्क की दरों का पुनरीक्षण करें और वास्तविक लागत के आधार पर युक्तियुक्त दरें निर्धारित करने हेतु यथाशीघ्र वांछित कार्यवाही कर आयोग को अवगत कराएं। 

राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने पत्रकार दीपक तिवारी की अपील पर दिए गए फैसले में कहा कि मनमानी शुल्क वसूली सूचना का अधिकार अधिनियम के महान व पवित्र उद्देश्य के प्रतिकूल है। मप्र सूचना का अधिकार (फीस व अपील) नियम के तहत ऐसी सूचना, जिसके लिए अन्य अधिनियम/नियम में अलग शुल्क निर्धारित है, तो आवेदक से वैसा शुल्क लिया जा सकता है। लेकिन इस नियम की आड़ में अनापशनाप शुल्क वसूली की अनुमति नहीं दी जा सकती है। 

म.प्र. मोटर यान नियम 1994 के नियम 62 में ए3/ए4 साइज के कागज के लिए भी सौ रू. से डेढ़ सौ रू. प्रति पेज की दर निर्धारित की गई है जो अन्य प्रयोजन के लिए है। इस शुल्क दर को सूचना के अधिकार के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाना किसी दृष्टि से औचित्यपूर्ण व न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता है। मप्र शासन ने ही फीस व अपील नियम 2005 में सूचना के अधिकार के तहत ए3/ए4 साइज के कागज की फोटोकापी के लिए 2 रू. प्रति पेज की दर निर्धारित की है। उसके मुकाबले वास्तविक लागत से 50 गुना से भी ज्यादा फोटोकापी शुल्क वसूला जाना विधि व न्याय से संगत नहीं है। 

नागरिकों से वसूले जाने वाले किसी भी शुल्क की राशि हर स्थिति में युक्तियुक्त आधार पर ही तय की जाना चाहिए। यदि मप्र सूचना का अधिकार (फीस व अपील) नियम के नियम 7 के अंतर्गत विभागों को कितना भी प्रतिलिपि शुल्क तय करने की छूट दी गई तो इतना अधिक शुल्क भी निर्धारित किया जा सकता है कि जिसके कारण नागरिकों को वांछित सूचना प्राप्त करने से वंचित रहना पड़ सकता है। ऐसी विषम स्थिति नैसर्गिक न्याय, लोकहित और सूचना का अधिकार अधिनियम की मंशा के प्रतिकूल होगी जो अस्वीकार्य है। आयोग ने परिवहन विभाग को आदेशित किया है कि अपीलार्थी को 100 रू. की बजाए 2 रू. प्रति पेज की दर से वांछित नकलें मुहैया कराएं। 

यह है मामलाः 
अपीलार्थी ने जिला परिवहन अधिकारी, विदिशा से वाहन प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किए गए लोगों/संस्थाओं के प्रमाण पत्रों की नकलें चाही थी। लोकहित में चाही गई ए4 साइज की इन नकलों के लिए 100 रू. प्रति पेज फोटोकापी शुल्क मांगा गया। जबकि बाजार में यह फोटोकापी 1 रू. में हो जाती है। इसलिए इतने अधिक शुल्क पर आपत्ति करते हुए अपीलार्थी ने प्रथम अपील की। जिसे अपीलीय अधिकारी/अपर कलेक्टर ने यह कह कर खारिज कर दिया कि निर्धारित शुल्क जमा करने पर ही नकलें दी जा सकती हैं। अपीलार्थी ने जिला परिवहन अधिकारी व अपर कलेक्टर के निर्णयों को सूचना आयोग में चुनौती दी जिस पर आयोग ने उनके निर्णयों को निरस्त करते हुए उक्त आदेश पारित किया।

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