रीवा | नवजात शिशु चिकित्सा गहन इकाई में हो रही मौत का आंकड़ा चौकाने वाला है। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर के मामले में भले ही श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय के गांधी मेमोरियल अस्पताल की एसएनसीयू में मौत का आंकड़ा सर्वाधिक कम बताया गया है परन्तु संभाग के आंकड़ों पर अगर नजर दौड़ाई जाये तो रीवा दूसरे स्थान पर है। बताया गया है कि सतना में यह आंकड़ा 392 है।
जबकि रीवा में यह 370 है। गौर करने वाली बात यह है कि नवजात शिशुओं की मौत के ऐसे आंकड़े सामने आ रहे है जो नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में हुई मौतों का है। इसके अलावा अगर लेबर रूम में बच्चों की मौत पर नजर दौड़ाई जाये तो इससे कहीं ज्यादा नवजातों की मौत मां की कोख में हो गई है।
गायनी इमरजेंसी रहती है बंद
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के बढ़ रहे आंकड़ों के मद्देनजर श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा गायनी इमरजेंसी खोली गई थी जो पूरी तरह से बंद है। ऐसे में प्रसुताओं को वह भी नहीं मिल पा रही है जो इमरजेंसी विभाग से मिलनी चाहिए। अभी भी ऐसी प्रसुतायें है जिन्हें स्टेÑचर के सहारे लेबर रूम पहुंचाया जाया है। उनकी ओपीडी एवं आईपीडी पर्ची संजय गांधी अस्पताल के काउंटर से मिलती है। उसका सबसे कारण यह है कि गायनी की एक वर्ष पूर्व खोली गई इमरजेंसी में गायनोलॉजिस्ट नहीं बैठ रहे हैं।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के बढ़ रहे आंकड़ों के मद्देनजर श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा गायनी इमरजेंसी खोली गई थी जो पूरी तरह से बंद है। ऐसे में प्रसुताओं को वह भी नहीं मिल पा रही है जो इमरजेंसी विभाग से मिलनी चाहिए। अभी भी ऐसी प्रसुतायें है जिन्हें स्टेÑचर के सहारे लेबर रूम पहुंचाया जाया है। उनकी ओपीडी एवं आईपीडी पर्ची संजय गांधी अस्पताल के काउंटर से मिलती है। उसका सबसे कारण यह है कि गायनी की एक वर्ष पूर्व खोली गई इमरजेंसी में गायनोलॉजिस्ट नहीं बैठ रहे हैं।
अति कम वजन के ज्यादातर नवजात गांधी मेमोरियल अस्पताल के लेबर रूम में जन्म लेने वाले 70 फीसदी बच्चे अति कम वजन एवं कम समय के पैदा हो रहे हैं। जिसके चलते ज्यादातर उनकी मौत वर्थ एक्सपेसिया से हो रही है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कल्पना यादव ने बताया कि प्रसव के दौरान प्रसुताओं के खानपान में उचित देखभाल न किए जाने से यह स्थिति निर्मित हो रही है। कई ऐसे प्रसव भी हो रहे है जो कम समय के हैं तथा उन नवजातों का वजन 1 किलो से भी कम है। अति कम वजन के नवजातों को तुरंत ही नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भेजा जाता है। ज्यादातर नवजात अच्छे होकर डिस्चार्ज किये जाते हैं।
नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती किए गए ज्यादातर नवजात अच्छे होकर डिस्चार्ज किये गये हैं। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में शिशु मृत्युदर के सबसे कम आंकड़े होने के बाद भोपाल में हुई बैठक में उच्च अधिकारियों ने इसकी सराहना की है।
डॉ. ज्योति सिंह, विभागाध्यक्ष शिशु रोग
डॉ. ज्योति सिंह, विभागाध्यक्ष शिशु रोग
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