रीवा | शासन द्वारा युवा उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही तीन योजनायें लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। चार जिलों में चल रही इन योजनाओं के मद्देनजर युवाओं को कर्ज देने के लिए बैंक प्रधानमंत्री की भी गारंटी मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र से भेजे गये 2119 प्रकरणों में मात्र 918 युवाओं को ही कर्ज दिया गया है। माना यह जा रहा है कि इस योजना से अब तक मात्र 25 फीसदी लोगों को प्रधानमंत्री योजना का लाभ मिला है।
ज्ञात हो कि युवाओं को पैरों पर खड़ा करने के लिए सीएम की युवा उद्यमी और स्वरोजगार योजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा पीएम की रोजगार सृजन योजना चल रही है। तीनों ही योजनाएं युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए हैं। इसमें युवाओं को उद्योग लगाने के लिए बैंकों से करोड़ों का कर्ज दिलाए जाने की योजना है। इस योजना में युवाओं को कर्ज तो बैंक देंगी, लेकिन गारंटी सरकार लेगी। हालांकि यह सिर्फ योजना मात्र तक ही सीमित रह गई है।
बैंक कर्ज के बदले युवाओं से गारंटी मांग रही है। सीएम और पीएम की गारंटी भी मान्य नहीं की जा रही है। यही वजह है कि वर्ष 2017-18 का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा। बैंकों के पास जिला उद्योग विभाग से अब तक करीब 2119 प्रकरण स्वीकृत होकर पहुंचे। इनमें से सिर्फ 1201 प्रकरणों में ही बैंकों ने कर्ज जारी किया है। शेष प्रकरणों को गारंटी के कारण डंप कर दिए हैं। अब ऐसे में इन योजनाओं की बेसिक दिक्कतों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सभी जिलों की हालत खराब
तीनों योजनाओं के लक्ष्य और स्वीकृत प्रकरणों पर नजर डाले तो सभी जिलों की हालत खराब है। लक्ष्य के अनुसार बैंकों ने कर्ज ही स्वीकृत नहीं किए हैं। लक्ष्य के मुकाबले कई जिलों की प्रगति 50 फीसदी भी कम है। औसत की बात करें तो युवा उद्यमी के वितरित प्रकरणों का प्रतिशत 30.57 है। स्वरोजगार योजना में 46.34 व पीएम रोजगार सृजन योजना का प्रतिशत करीब 18.42 प्रतिशत है।
तीनों योजनाओं के लक्ष्य और स्वीकृत प्रकरणों पर नजर डाले तो सभी जिलों की हालत खराब है। लक्ष्य के अनुसार बैंकों ने कर्ज ही स्वीकृत नहीं किए हैं। लक्ष्य के मुकाबले कई जिलों की प्रगति 50 फीसदी भी कम है। औसत की बात करें तो युवा उद्यमी के वितरित प्रकरणों का प्रतिशत 30.57 है। स्वरोजगार योजना में 46.34 व पीएम रोजगार सृजन योजना का प्रतिशत करीब 18.42 प्रतिशत है।
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