सतना | रेलवे विभाग से पन्ना-सतना रेल लाइन के विस्तारीकरण का प्लान लीक होने से रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों में शुरू ही जमीनों की खरीदी-बिक्री पर अंतत: रोक लग गई। हालांकि इस मामले में तीन दिन पहले जिला प्रशासन के भू-अर्जन शाखा की भूमिका संदिग्ध है। तीन दिन पहले रेलवे अभियंता भोपाल द्वारा रघुराजगर तहसील के 9 गांवों की जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगाए जाने का पत्र जिला प्रशासन के पास पहुंचा था लेकिन जमीनों की खरीदी-बिकी रोके जाने का पत्र रजिस्ट्री एवं स्टाम्प ड्यूटी विभाग में नहीं पहुंचा जबकि इसी कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के नीचे कार्यालय है।
इधर रजिस्ट्री एवं स्टाम्प विभाग में भू-माफिया पहले के मुकाबले और तेजी से सक्रिय हो गए हैं। जमीन के बदले रेलवे में नौकरी लालच देकर छोटे-छोटे भूखंड की बाजार से पांच गुना महंगे दामों में रजिस्ट्री कराए जाने का खेल जारी रखे हुए हैं। सूत्रों की माने तो 13 दिनों के अंदर रघुराजगर नगर तहसील के चिन्हित गांवों में करीब 9 सौ से अधिक भूखंडों की रजिस्ट्रियां हुई हैं।
रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों में रेलवे में नौकरी दिए जाने का लालच देकर जमीन बेचने का मामला सबसे पहले स्टार समाचार ने प्रकाशित किया था। इसके बाद रेलवे विभाग के मुख्य अभियंता ने मामले की जानकारी स्थानीय अधिकारियों से तलब की। मामला सही मिलने पर रेल प्रबंधन ने जमीनों की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाए जाने का आदेश जारी किया है।
जितने होंगे जमीन के मालिक सभी को देनी पड़ेगी नौकरी
सूत्रों के मुताबिक करीब 15 दिन पहले कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के उप पंजीयक कार्यालय में एकाएक रघुराजनगर तहसील के बगहा, मझगवां, करही हरमल्ला, करही कोठार, गिदुरी, करही पवाई, देवरा और सरिसताल गांवों की जमीनों की बिक्री में तेजी आ गई। यह अफवाह फैलाई गई कि सतना-पन्ना रेलवे लाइन का विस्तारीकरण किया जाना है। रेलवे जमीन का फिर से अधिग्रहण करेगा। अधिग्रहित की गई जमीन के बदले चार गुना मुआवजा के साथ रेलवे में नौकरी मिलेगी। फिर क्या था इस अफवाह के फैलने के बाद इन सभी गांवों की जमीनों के भाव आसमान को छू गए। जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के लिए इस कदर एक छोटी जमीन लिए जाने की होड़ मची की 100 रुपए वर्गफिट के भाव पांच सौ रुपए पहुंच गए।
सूत्रों के मुताबिक करीब 15 दिन पहले कलेक्ट्रेट बिल्डिंग के उप पंजीयक कार्यालय में एकाएक रघुराजनगर तहसील के बगहा, मझगवां, करही हरमल्ला, करही कोठार, गिदुरी, करही पवाई, देवरा और सरिसताल गांवों की जमीनों की बिक्री में तेजी आ गई। यह अफवाह फैलाई गई कि सतना-पन्ना रेलवे लाइन का विस्तारीकरण किया जाना है। रेलवे जमीन का फिर से अधिग्रहण करेगा। अधिग्रहित की गई जमीन के बदले चार गुना मुआवजा के साथ रेलवे में नौकरी मिलेगी। फिर क्या था इस अफवाह के फैलने के बाद इन सभी गांवों की जमीनों के भाव आसमान को छू गए। जमीन के बदले रेलवे में नौकरी के लिए इस कदर एक छोटी जमीन लिए जाने की होड़ मची की 100 रुपए वर्गफिट के भाव पांच सौ रुपए पहुंच गए।
इस मामले को स्टार समाचार ने 19 दिसंबर के अंक में अफवाह में सवार होकर आई रजिस्ट्रियों की बाढ़ के नाम से समाचार का प्रकाशन किया गया। इसके बाद स्थानीय स्तर पर रेलवे अफसरों ने सतना-पन्ना रेल लाइन के लिए आरक्षित दोनों तरफ की सीमा में जमीनों की खरीद-बिक्री पर रोक लगाए जाने के लिए प्रशासन से मिले लेकिन बात नहीं बनी। इस संबंध में भोपाल मुख्यालय अवगत कराया गया जहां से पत्र जारी किया गया कि रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों में जमीनों के खरीद-फरोख्त पर रोक लगाए जाने का आदेश जारी किया।
प्लान हुआ लीक बढ़े जमीन के हिस्सेदार
सतना-पन्ना रेलवे लाइन के विस्तारीकरण की योजना आखिर रेलवे विभाग के लीक होने के साथ ही रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों में भू माफिया सक्रिय हो गए। सतना-पन्ना रेलवे लाइन के लिए चिन्हित दोनों तरफ की जमीन का भूमाफिया ने सौदा कर लिया। रेलवे के प्रावधानों के मुताबिक रेलवे के द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के बदले रेलवे में नौकरी मिलेगी। इसी का फायदा उठाते हुए पांच सौ से अधिक वर्गफिट के भाव जमीन बेचने का काम शुरू हुआ। सवाल यह उठ रहा कि जमीन का मुआवजा तो मिलेगा लेकिन जमीन के जितने अधिक मालिक होंगे सभी को रेलवे को नौकरी देनी होगी। रेलवे द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों को बहुत ही गोपीनय रखा जाता है लेकिन यहां पर एसा नहीं हुआ। विस्तारीकरण की योजना लीक हो गई।
सतना-पन्ना रेलवे लाइन के विस्तारीकरण की योजना आखिर रेलवे विभाग के लीक होने के साथ ही रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों में भू माफिया सक्रिय हो गए। सतना-पन्ना रेलवे लाइन के लिए चिन्हित दोनों तरफ की जमीन का भूमाफिया ने सौदा कर लिया। रेलवे के प्रावधानों के मुताबिक रेलवे के द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली जमीन के बदले रेलवे में नौकरी मिलेगी। इसी का फायदा उठाते हुए पांच सौ से अधिक वर्गफिट के भाव जमीन बेचने का काम शुरू हुआ। सवाल यह उठ रहा कि जमीन का मुआवजा तो मिलेगा लेकिन जमीन के जितने अधिक मालिक होंगे सभी को रेलवे को नौकरी देनी होगी। रेलवे द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों को बहुत ही गोपीनय रखा जाता है लेकिन यहां पर एसा नहीं हुआ। विस्तारीकरण की योजना लीक हो गई।
रेलवे द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के बदले क्या मिलेगा इसके प्रावधान पहले से तय हैं। रघुराजनगर तहसील के 9 गांवों की जमीन की खरीदी-बिक्री पर रेलवे से प्रस्ताव मिलने के बाद ही रोक लगाई जा सकती है। कुछ दिन पहले मिले पत्र के मुताबिक रोक लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
मुकेश शुक्ला, कलेक्टर
मुकेश शुक्ला, कलेक्टर
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