रीवा | सरकारी विभागों के प्रकरण न्यायालय में जाने के बाद कुछ विभागों को न्याय शुल्क में छूट भले ही दी गई हो परंतु सात वर्ष पूर्व किसान कल्याण एवं कृषि विभाग द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली के लिए न्यायालय में दायर किए गए वाद पर शासकीय अधिवक्ता ने 16 हजार 500 रुपए न्याय शुल्क की राशि विभाग से मांग कर धोखाधड़ी की है। खास बात यह है कि विभाग द्वारा न्याय शुल्क के नाम पर मांगी गई राशि भी जारी कर दी गई परंतु दावा में शासकीय अधिवक्ता द्वारा जो लेख प्रस्तुत किया गया है, उसमें स्पष्ट किया गया है कि शासन द्वारा उक्त प्रकरण में न्याय शुल्क पर छूट दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां दावे में न्याय शुल्क छूट का उल्लेख किया गया है, वहीं विभाग से ली गई राशि का उपयोग न्यायालयीन खर्च में नहीं किया गया है। ऐसे में यह मामला संदेहास्पद हो गया है।
गौरतलब है कि चतुर्थ जिला व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 के यहां प्रकरण क्रमांक एसबी/2010 में संयुक्त संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी रीवा ने शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से बीएम सिंह सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी तथा बीपी द्विवेदी सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी पर वसूली के लिए दावा प्रस्तुत किया गया था। जिस पर लगने वाले न्याय शुल्क के रूप में शासकीय अधिवक्ता ने विभाग से 16 हजार 500 रुपए की मांग की थी। मामला पेश होने के बाद यह जानकारी किसी को नहीं थी कि उक्त प्रकरण में न्याय शुल्क के नाम पर विभाग से राशि ली गई है।
गौरतलब है कि चतुर्थ जिला व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 के यहां प्रकरण क्रमांक एसबी/2010 में संयुक्त संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी रीवा ने शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से बीएम सिंह सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी तथा बीपी द्विवेदी सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी पर वसूली के लिए दावा प्रस्तुत किया गया था। जिस पर लगने वाले न्याय शुल्क के रूप में शासकीय अधिवक्ता ने विभाग से 16 हजार 500 रुपए की मांग की थी। मामला पेश होने के बाद यह जानकारी किसी को नहीं थी कि उक्त प्रकरण में न्याय शुल्क के नाम पर विभाग से राशि ली गई है।
वर्षों तक लंबित मामले में विभाग द्वारा जब यह जानकारी ली गई कि उक्त दावे का निराकरण नहीं किया गया, जबकि विभाग ने न्याय शुल्क के नाम पर 16 हजार 500 रुपए जमा कर दिए हैं। ऐसे में पूरे प्रकरण को अवलोकन किए जाने के बाद शासकीय अभिभाषक/लोक अभियोजक अरुण कुमार शर्मा ने उक्त प्रकरण में न्याय शुल्क में छूट संबंधी टिप्पणी भी पढ़ी। इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि उक्त राशि जब न्याय शुल्क में नहीं ली गई। विभाग द्वारा जारी राशि भी प्राप्त कर ली गई, तब यह पाया गया कि उक्त राशि शासकीय अधिवक्ता द्वारा ली गई है।
क्या है मामला
अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक रीवा लोकायुक्त प्रकरण से संबंधित कर्मचारी बीएम सिंह एवं बीपी द्विवेदी दोनों सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी के विरुद्ध शासन को पहुंचाई गई क्षति के संबंध में रकम वसूली का दावा चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश के यहां 7 जुलाई 2010 को दायर किया गया था। जिसमें अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक ने विभाग से न्याय शुल्क के नाम पर 16 हजार 500 रुपए की मांग की थी। संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा इस राशि को स्वीकृत कर 2 जुलाई 2010 को दिया गया था। विधि और विधायी कार्य विभाग भोपाल दिनांक 13 अक्टूबर 2005 मप्र राजपत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सभी जिला न्यायालयों के अंतर्गत किसी प्रकार के व्यवहारवाद, रकम वसूली संबंधी वाद जो शासन के द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं उनके संबंध में कोई न्यायालय फीस, न्याय शुल्क प्रकरण में संलग्न करना अनिवार्य नहीं है।
अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक रीवा लोकायुक्त प्रकरण से संबंधित कर्मचारी बीएम सिंह एवं बीपी द्विवेदी दोनों सेवानिवृत्त कृषि विस्तार अधिकारी के विरुद्ध शासन को पहुंचाई गई क्षति के संबंध में रकम वसूली का दावा चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश के यहां 7 जुलाई 2010 को दायर किया गया था। जिसमें अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक ने विभाग से न्याय शुल्क के नाम पर 16 हजार 500 रुपए की मांग की थी। संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विभाग द्वारा इस राशि को स्वीकृत कर 2 जुलाई 2010 को दिया गया था। विधि और विधायी कार्य विभाग भोपाल दिनांक 13 अक्टूबर 2005 मप्र राजपत्र में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि सभी जिला न्यायालयों के अंतर्गत किसी प्रकार के व्यवहारवाद, रकम वसूली संबंधी वाद जो शासन के द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं उनके संबंध में कोई न्यायालय फीस, न्याय शुल्क प्रकरण में संलग्न करना अनिवार्य नहीं है।
सचिव विधि विधायी कार्य विभाग को लिखा पत्र
उक्त प्रकरण प्रकाश में आने के बाद कार्यालय लोक अभियोजक रीवा द्वारा सचिव विधि और विधायी कार्य विभाग विंध्यांचल भवन भोपाल को एक पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया है कि अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक संतोष कुमार अवधिया द्वारा उक्त प्रकरण में विभाग के माध्यम से न्यायालय शुल्क के नाम पर 16 हजार 500 रुपए की मांग की जो वृत्तिक अवचार के दोषी हैं। किया गया कृत्य अधिवक्ता अधिनियम एवं शासन के नियमों के प्रतिकूल है।
उक्त प्रकरण प्रकाश में आने के बाद कार्यालय लोक अभियोजक रीवा द्वारा सचिव विधि और विधायी कार्य विभाग विंध्यांचल भवन भोपाल को एक पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया है कि अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक संतोष कुमार अवधिया द्वारा उक्त प्रकरण में विभाग के माध्यम से न्यायालय शुल्क के नाम पर 16 हजार 500 रुपए की मांग की जो वृत्तिक अवचार के दोषी हैं। किया गया कृत्य अधिवक्ता अधिनियम एवं शासन के नियमों के प्रतिकूल है।
टाइम वार्ड हो रहा था, इसके लिए हमने न्याय शुल्क लगाकर प्रकरण को पेश किया था। हालांकि हमारे हस्ताक्षर से राशि ली गई है ऐसा कहीं नहीं है। यह एक साजिश है। आगे जो होगा वह देखा जाएगा।
संतोष कुमार अवधिया,अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक
संतोष कुमार अवधिया,अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक
यह मामला मेरी संज्ञान में अभी नहीं है। चूंकि हमारे समय का यह मामला नहीं है। गुरुवार को कार्यालय खुलने के बाद इस मामले में मैं कुछ कह सकता हूं। मेरे पास किसी भी तरह का पत्राचार अभी नहीं हुआ है। इसके पहले का होगा तो जानकारी लेने के बाद बता पाऊंगा।
एसके माहौरे, डीडीए कृषि
एसके माहौरे, डीडीए कृषि
Comments
Post a Comment