रीवा | श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा संजय गांधी एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में गुपचुप तरीके से 25 से ज्यादा स्टाफ नर्सों की नियुक्ति कर दी है। मजेदार पहलु यह है कि इन पदों के लिए नियम कायदा ताक पर रख दिया गया है। न विज्ञापन निकाले गये, न ही शासकीय सेवा शर्तों का पालन किया गया। अब प्रबंधन अपनी करतूत पर पर्दा डालने में जुट गया है।
साल के आखिरी हफ्ते में चिकित्सा संवर्ग में नियुक्ति के लिए कथित तौर पर बड़े पैमाने पर लेनदेन की चर्चायें गरम है। इस बीच मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. पीसी द्विवेदी कार्यवाहक डीन बनाकर अवकाश पर चले गये हैं। उनके स्थान पर औपचारिक कामकाज डॉ. प्रदीप कुमार देख रहे हैं। हाल ही में एसजीएमएच और जीएमएच छोड़कर अन्यत्र जाने वाली स्टाफ नर्सों के चलते पद रिक्त हुए थे। उनके स्थान पर इन्हें रखा गया है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय से इस तरह की गई नियुक्ति का यह दूसरा मामला है। पूर्व में भी इस तरह की नियुक्ति की गई थी जिसमें वार्ड ब्वाय, चपरासी एवं नर्सों की नियुक्ति हुई थी। मामला प्रकाश में आने के बाद कुछ लोगों को इस पद से पृथक भी किया गया था।
साल के आखिरी हफ्ते में चिकित्सा संवर्ग में नियुक्ति के लिए कथित तौर पर बड़े पैमाने पर लेनदेन की चर्चायें गरम है। इस बीच मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. पीसी द्विवेदी कार्यवाहक डीन बनाकर अवकाश पर चले गये हैं। उनके स्थान पर औपचारिक कामकाज डॉ. प्रदीप कुमार देख रहे हैं। हाल ही में एसजीएमएच और जीएमएच छोड़कर अन्यत्र जाने वाली स्टाफ नर्सों के चलते पद रिक्त हुए थे। उनके स्थान पर इन्हें रखा गया है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय से इस तरह की गई नियुक्ति का यह दूसरा मामला है। पूर्व में भी इस तरह की नियुक्ति की गई थी जिसमें वार्ड ब्वाय, चपरासी एवं नर्सों की नियुक्ति हुई थी। मामला प्रकाश में आने के बाद कुछ लोगों को इस पद से पृथक भी किया गया था।
स्थापना के बाबू और एक चिकित्सक की भूमिका
संजय गांधी एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में विज्ञापन के बगैर की गई स्टाफ नर्स की भर्ती में स्थापना शाखा के एक लिपिक एवं हड्डी रोग विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक की भूमिका बताई गई है। सूत्रों की मानें तो उक्त भर्ती में लाखों रूपये का लेनदेन किया गया है। गुपचुप तरीके से की गई इस नियुक्ति की भनक तक किसी को नहीं लगने पाई है।
संजय गांधी एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में विज्ञापन के बगैर की गई स्टाफ नर्स की भर्ती में स्थापना शाखा के एक लिपिक एवं हड्डी रोग विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक की भूमिका बताई गई है। सूत्रों की मानें तो उक्त भर्ती में लाखों रूपये का लेनदेन किया गया है। गुपचुप तरीके से की गई इस नियुक्ति की भनक तक किसी को नहीं लगने पाई है।
स्टाफ नर्स के 350 पद रिक्त
संजय गांधी एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में स्टाफ नर्स के साढ़े तीन सौ पद वर्षो से रिक्त पड़े हुये हैं। हालांकि पूर्व में स्टाफ नर्सों की संविदा भर्ती की गई थी। इसके बाद भी अभी अस्पताल प्रबंधन को साढ़े तीन सौ स्टाफ नर्स मिलना अनिवार्य है। बताया गया है कि स्टाफ नर्सों की कमी के चलते भर्ती मरीजों की देखरेख में जहां काफी दिक्कतें पैदा हो रही है। वहीं जूनियर क्लास की स्टाफ नर्स बतौर अस्पताल में सेवायें भी दे रही हैं। बताया गया है कि उक्त जूनियर स्टाफ नर्स जिले के विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों की हैं। जिन्हें प्रैक्टिकल के तौर पर अस्पताल लाया जाता है।
संजय गांधी एवं गांधी मेमोरियल अस्पताल में स्टाफ नर्स के साढ़े तीन सौ पद वर्षो से रिक्त पड़े हुये हैं। हालांकि पूर्व में स्टाफ नर्सों की संविदा भर्ती की गई थी। इसके बाद भी अभी अस्पताल प्रबंधन को साढ़े तीन सौ स्टाफ नर्स मिलना अनिवार्य है। बताया गया है कि स्टाफ नर्सों की कमी के चलते भर्ती मरीजों की देखरेख में जहां काफी दिक्कतें पैदा हो रही है। वहीं जूनियर क्लास की स्टाफ नर्स बतौर अस्पताल में सेवायें भी दे रही हैं। बताया गया है कि उक्त जूनियर स्टाफ नर्स जिले के विभिन्न नर्सिंग कॉलेजों की हैं। जिन्हें प्रैक्टिकल के तौर पर अस्पताल लाया जाता है।
सीटें बढ़ी स्टाफ घटा
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय में एमसीआई द्वारा एमबीबीएस की सीटों में 150 की बढ़ोत्तरी की गई है जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सकों की कई वर्षों से नियुक्ति ही नहीं की गई है। इतना ही नहीं कॉलेज में कई ऐसे विभाग है जिन पर चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन चिकित्सा छात्रों को बेहतर चिकित्सा शिक्षा कैसे मिल पायेगी। पशोपेश में कॉलेज प्रबंधन ने इस संबंध में एमसीआई सहित चिकित्सा शिक्षा को पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया है कि प्रोफेसरों की जल्द ही भर्ती की जाये ताकि कक्षायें समुचित चलाई जा सके।
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय में एमसीआई द्वारा एमबीबीएस की सीटों में 150 की बढ़ोत्तरी की गई है जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा चिकित्सकों की कई वर्षों से नियुक्ति ही नहीं की गई है। इतना ही नहीं कॉलेज में कई ऐसे विभाग है जिन पर चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन चिकित्सा छात्रों को बेहतर चिकित्सा शिक्षा कैसे मिल पायेगी। पशोपेश में कॉलेज प्रबंधन ने इस संबंध में एमसीआई सहित चिकित्सा शिक्षा को पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया है कि प्रोफेसरों की जल्द ही भर्ती की जाये ताकि कक्षायें समुचित चलाई जा सके।
अस्पताल में फिलहार इस तरह स्टाफ नसों की नियुक्ति नही की गई है। ऐसा अधिकार किसी को नही है। आरसीएच से कुछ स्टाप नसों की नियुक्ति होनी है वह भोपाल स्तर से होगी।
डॉ. पीसी द्विवेदी, डीन एसएस मेडिकल कॉलेज रीवा
डॉ. पीसी द्विवेदी, डीन एसएस मेडिकल कॉलेज रीवा
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