रीवा। कम बरसात के बाद भी रीवा में धान की इतनी पैदावार हुई है कि समर्थन मूल्य पर क्रय की गई धान के लिए प्रशासन के सारे वेयर हाउस कम पड़ गए हैं। ऐसे में नागरिक आपूर्ति निगम फेडरेशन के कैप में धान भंडारण पर मंथन शुरू कर रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस खरीफ सीजन में 42 लाख 30 हजार मीट्रिक टन धान पैदा होने का अनुमान है। यह उत्पादन 1 लाख 19 हजार 370 हेक्टेयर में हुआ है।
हालांकि इस सीजन में धान के अलावा दलहनी और तिलहनी फसलों पर अल्प वर्षा की जबरदस्त मार पड़ी है। सोयाबीन लगभग जिले से समाप्त सा हो गया है। कमोबेश यही स्थिति उड़द, मूंग और तिल की रही। गौरतलब है कि कृषि विभाग द्वारा खरीफ की बोई जाने वाली रकबे के अनुसार जिले में धान का रकबा 1 लाख 19 हजार 370 हेक्टेयर का था, जिसका उत्पादन अनुमानत: 42 लाख 30 हजार मीट्रिक टन बताया गया है। समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही धान में अब तक 10 लाख 68 हजार क्विंटल धान की खरीदी हो पाई है। जबकि 8 लाख 34 हजार 570 क्विंटल धान का परिवहन कर वेयर हाउस में भण्डारण किया जा चुका है। आलम यह है कि नागरिक आपूर्ति निगम के पास अब मात्र 32 हजार क्विंटल धान भण्डारण की जगह बची है। इस स्थिति में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की सांसें फूलने लगी हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिले में 32 हजार किसानों का पंजीयन समर्थन मूल्य की खरीदी के लिए किया गया था, जिसमें साढ़े 19 हजार किसानों से अब तक धान खरीदी गई है। आलम यह है कि 12 हजार से ज्यादा किसानों की धान रखने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम के पास स्थान कम पड़ गए हैं। इस स्थिति में धान भण्डारण पर विभाग के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।
कैप में भण्डारण की योजना
नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान की आवक लक्ष्य से ज्यादा आने के बाद वेयर हाउस फुल हो जाने की स्थिति में मार्कफेड के कैप में धान भण्डारण की मंशा पर विचार किया जा रहा है। खास बात यह है कि गोदाम में भण्डारित किए जाने वाले अनाज को बचा पाने में नागरिक आपूर्ति निगम कितना सफल हुआ है यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में मार्कफेड के कैप में खुले में रखी जाने वाली धान को किस तरह बचाया जाएगा, इस पर भी विभाग की सांसें फूलने लगी हैं।
नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली धान की आवक लक्ष्य से ज्यादा आने के बाद वेयर हाउस फुल हो जाने की स्थिति में मार्कफेड के कैप में धान भण्डारण की मंशा पर विचार किया जा रहा है। खास बात यह है कि गोदाम में भण्डारित किए जाने वाले अनाज को बचा पाने में नागरिक आपूर्ति निगम कितना सफल हुआ है यह किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में मार्कफेड के कैप में खुले में रखी जाने वाली धान को किस तरह बचाया जाएगा, इस पर भी विभाग की सांसें फूलने लगी हैं।
जिले में हैं 25 गोदाम
नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खरीदे जाने वाले अनाज के भण्डारण के लिए वेयर हाउस के पास जिले में मात्र 25 गोदाम हैं, जिनकी क्षमता 1 लाख 10 हजार मीट्रिक टन है। बताया गया है कि धान खरीदी के पूर्व भण्डारण के लिए समुचित योजना नहीं बनाई गई। यही वजह है कि धान के भण्डारण को लेकर दिक्कतें पैदा हो गई हैं।
नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खरीदे जाने वाले अनाज के भण्डारण के लिए वेयर हाउस के पास जिले में मात्र 25 गोदाम हैं, जिनकी क्षमता 1 लाख 10 हजार मीट्रिक टन है। बताया गया है कि धान खरीदी के पूर्व भण्डारण के लिए समुचित योजना नहीं बनाई गई। यही वजह है कि धान के भण्डारण को लेकर दिक्कतें पैदा हो गई हैं।
कम पड़ रहे बारदाने
धान की खरीदी के लिए बनाए गए केन्द्रों में बारदाने कम पड़ गए हैं। ऐसे में कई दिनों से किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केन्द्रों में डटे हुए हैं। एक तरफ जहां किसानों से ज्यादा तादात में धान खरीदने सरकार की पहल चल रही है, वहीं नॉन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले बारदाने ही कम पड़ते जा रहे हैं। कई खरीदी केन्द्रों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। इतना ही नहीं किसान आंदोलन तक का मन बना रहे हैं।
धान की खरीदी के लिए बनाए गए केन्द्रों में बारदाने कम पड़ गए हैं। ऐसे में कई दिनों से किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केन्द्रों में डटे हुए हैं। एक तरफ जहां किसानों से ज्यादा तादात में धान खरीदने सरकार की पहल चल रही है, वहीं नॉन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले बारदाने ही कम पड़ते जा रहे हैं। कई खरीदी केन्द्रों में स्थिति गंभीर बनी हुई है। इतना ही नहीं किसान आंदोलन तक का मन बना रहे हैं।
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