रीवा | निरक्षरता को देश से हटाने की कोशिशों को खुद शासकीय पाठशालाओं के शिक्षक ही नाकाम करने में तूले हुए हैं। रीवा जिले के गुढ़ तहसील के प्राथमिक एवं हाई स्कूल पाठशालाओं का हाल देखकर यही प्रतीत होता है कि सरकार की गरीब बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु बनाई गई योजनायें विफल होती नजर आ रही है।
शासन प्राथमिक एवं हाई स्कूल निर्माण में करोड़ों रूपये खर्च करता है। साथ ही साथ यहां के शिक्षकों को अच्छी खासी वेतन भी देता है। परन्तु कहीं स्कूल सिर्फ दो घंटे खुलती है तो किसी पाठशाला का दरवाजा अब खुला ही नहीं है। यहां तक कि कुछ स्कूलों के शिक्षक गांव के थोड़ा बहुत पढ़े लिखे लोगों को पैसे देकर स्कूल संचालन की जिम्मेदारी सौंप देते हैं और खुद आराम फरमाते हैं। परन्तु इस बदहाली प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी बेखबर हैं।
रीवा जिले के गुढ़ तहसील में स्थित प्राथमिक एवं माध्यमिक पाठशालाओं में शिक्षा के नाम पर मजाक चल रहा है। आलम यह है कि कागजों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की अनुपस्थिति तो बराबर बनी हुई है। परन्तु वास्तविकता में विद्यालय कभी खुलते ही नहीं है और यदि खुलते भी है तो कक्षायें नहीं लगती। ऐसे में विद्यार्थियों के अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित है।
गुढ़ तहसील में बरसैता हाई स्कूल में 6 से 10 वीं की कक्षायें संचालित हैं। साथ ही साथ यह विद्यालय एक संकुल भी है। परन्तु स्कूल 12 से लेकर सिर्फ 2 बजे तक के लिए खुलती है। ऐसे में विद्यालय में अध्ययनरत छात्र सिर्फ दो कक्षाओं में उपस्थिति देकर घर चले जाते हैं। यही हाल इटार पहाड़, डढ़वा, जल्दर प्राथमिक पाठशाला का भी है जहां शिक्षक मात्र समय व्यतीत करने के लिए एक घंटे स्कूल खोलते हैं। ऐसे में विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों की शिकायत है कि वह शिक्षकों की इन मनमानी से परेशान हो चुके हैें। वहीं बांधी प्राथमिक पाठशाला कभी खुलती ही नहीं है। स्कूल के एक शिक्षक बीएलओ परन्तु आज तक उनके द्वारा एक भी व्यक्ति का मतदान सूची में नाम नहीं जोड़ा गया।
दूसरे निभा रहे शिक्षकों की जिम्मेदारी
करियाझर प्राथमिक पाठशाला घनघोर जंगल के बीचों बीच स्थित है। जहां के शिक्षक गांव के पढ़े लिखे बेरोजगारों को एक, दो हजार रूपये देकर स्कूल के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी है और खुद घर में बैठकर आराम फरमाते हैं। देखा जाये तो गुढ़ तहसील में प्राथमिक एवं हाई स्कूल की शिक्षा डावाडोल चल रही है। परन्तु जिला शिक्षा अधिकारी और डीपीसी इस मामले से अनभिज्ञ बने हुये हैं।
करियाझर प्राथमिक पाठशाला घनघोर जंगल के बीचों बीच स्थित है। जहां के शिक्षक गांव के पढ़े लिखे बेरोजगारों को एक, दो हजार रूपये देकर स्कूल के संचालन की जिम्मेदारी सौंप दी है और खुद घर में बैठकर आराम फरमाते हैं। देखा जाये तो गुढ़ तहसील में प्राथमिक एवं हाई स्कूल की शिक्षा डावाडोल चल रही है। परन्तु जिला शिक्षा अधिकारी और डीपीसी इस मामले से अनभिज्ञ बने हुये हैं।
इन स्कूलों पर निश्चित कार्रवाई की जाएगी। जो कि मानीटरिंग अधिकृत लेबर के द्वारा होगी। किसी भी वक्त जिले स्तर से दल जायेंगे। ऐसा हाल होने पर शिक्षकों को सस्पेण्ड भी किया जा सकता है।
केपी तिवारी, डीपीसी
केपी तिवारी, डीपीसी
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