सतना। नए साल का उत्साह पूरे विंध्य में चरम पर देखने को मिल रहा है। जहां रीवा, सतना, सिंगरौली समेत विंध्य के सभी शहरों में उत्साही युवाओं ने मनोरंजन के साधनों से नए वर्ष का स्वागत किया वहीं स्कूली बच्चे, परिवारीजन विंध्य के प्रसिद्ध मंदिरों, पर्यटन स्थलों में सुबह से ही ट्रिप पर निकल गए हैं। नए वर्ष का असर सतना में आयोजित विंध्य व्यापार मेले में भी देखने को मिला है जहां पिछले दो दिनों से रिकार्ड भीड़ उमड़ रही है और प्रबंधन के अनुसार आज भी भारी भीड़ का सामना करना पड़ सकता है।
अगर विंध्य के प्रमुख स्थलों की बात की जाए जहां पर लोग लगातार मनोरंजन और दर्शन के लिए जा रहे हैं तो इन स्थानों को शार्टलिस्ट किया जा सकता है-
व्हाइट टाइगर सफारी, मुकुंदपुर
नए साल के एक दिन पूर्व तक 4 हजार से अधिक पर्यटकों के महाराजा मार्तण्ड सिंह व्हाइट टाइगर सफारी और जू सेंटर में पहुंचने की सूचना है। इन पर्यटकों से वन विभाग को अब तक दो लाख से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। यहां पर सबसे अधिक संख्या स्कूली बच्चों की बताई जा रही है। नए साल का जश्न मनाने और अवकाश का लाभ उठाते हुए 3 हजार 861 पर्यटक रविवार को विश्व की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी पहुंचे हैं। सोमवार को भी बच्चों की सफारी देखने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है।
मैहर का शारदा मंदिर
सतना से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद पवित्र नगरी मैहर पर बेहद कम खर्चे पर पहुंचा जा सकता है और यही कारण है कि विंध्य के सभी नगरों के रहवासी बड़ी संख्या में पिछले दो दिनों से यहां पर आ रहे हैं। भक्तों को त्रिकूट पर्वत में मां शारदा के दर्शन के साथ आल्हा स्थल भी देखने का मौका मिल जाता है। सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक जमावट के कारण महिलाएं और बच्चे भी यहां पर बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आ रहे हैं।
सतना से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद पवित्र नगरी मैहर पर बेहद कम खर्चे पर पहुंचा जा सकता है और यही कारण है कि विंध्य के सभी नगरों के रहवासी बड़ी संख्या में पिछले दो दिनों से यहां पर आ रहे हैं। भक्तों को त्रिकूट पर्वत में मां शारदा के दर्शन के साथ आल्हा स्थल भी देखने का मौका मिल जाता है। सर्वश्रेष्ठ प्रशासनिक जमावट के कारण महिलाएं और बच्चे भी यहां पर बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आ रहे हैं।
सबसे बड़ा चित्रकूट धाम
इसी तरह सतना शहर से कोठी रोड पर 85 किलोमीटर की दूरी पर राम की तपोभूमि चित्रकूट धाम मौजूद है। देश के प्रसिद्ध पर्यटन नगरों में से एक चित्रकूट पर्यटकों के घूमने और दर्शऩ करने के लिए कई जगहें एक साथ उपलब्ध करवाता है। यहां के सबसे प्रमुख स्थान मां मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित रामघाट, कामतानाथ का मंदिर परिसर और पर्वत, सती अनुसुइया आश्रम, भरत कूप, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला और जानकीकुंड है।
इसी तरह सतना शहर से कोठी रोड पर 85 किलोमीटर की दूरी पर राम की तपोभूमि चित्रकूट धाम मौजूद है। देश के प्रसिद्ध पर्यटन नगरों में से एक चित्रकूट पर्यटकों के घूमने और दर्शऩ करने के लिए कई जगहें एक साथ उपलब्ध करवाता है। यहां के सबसे प्रमुख स्थान मां मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित रामघाट, कामतानाथ का मंदिर परिसर और पर्वत, सती अनुसुइया आश्रम, भरत कूप, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला और जानकीकुंड है।
रीवा का किला और वाघेला म्यूजियम
पर्यटकों को इतिहास की झलक दिखला जाता रीवा राजघराने का ऐतिहासिक फोर्ट इस शहर में सबसे पहली पसंद माना जाता है। यहां का गौरवमयी इतिहास है, तो प्रसिद्ध वाघेला म्यूजियम भी है। रीवा राजघराने में विदेशी देशों के झूमर भी यहां की सुंदरता को चार-चांद लगाते हैं। रीवा से 40 किमी. दूरी पर 13 वीं शताब्दी का ऐतिहासिक क्योटी झरना और किला है तो करीब 65 किलोमीटर की दूरी त्योंथर फोर्ट मौजूद है।
पर्यटकों को इतिहास की झलक दिखला जाता रीवा राजघराने का ऐतिहासिक फोर्ट इस शहर में सबसे पहली पसंद माना जाता है। यहां का गौरवमयी इतिहास है, तो प्रसिद्ध वाघेला म्यूजियम भी है। रीवा राजघराने में विदेशी देशों के झूमर भी यहां की सुंदरता को चार-चांद लगाते हैं। रीवा से 40 किमी. दूरी पर 13 वीं शताब्दी का ऐतिहासिक क्योटी झरना और किला है तो करीब 65 किलोमीटर की दूरी त्योंथर फोर्ट मौजूद है।
धारकुंडी का आश्रम
सतना से 70 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद धारकुंडी आश्रम में प्रकृति और अध्यात्म का अनुपम मिलन देखने को मिलता है। पर्वत की कंदराओं में साधना स्थल, दुर्लभ शैल चित्र, पहाड़ों से अनवरत बहती जल धारा, गहरी खाइयां और चारों ओर से घिरे घनघोर जंगल के बीच महाराज सच्चिदानंद के परमहंस आश्रम ने यहां पर्यटन और आध्यात्म को एक ही रंग में बांधा हुआ है।
सतना से 70 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद धारकुंडी आश्रम में प्रकृति और अध्यात्म का अनुपम मिलन देखने को मिलता है। पर्वत की कंदराओं में साधना स्थल, दुर्लभ शैल चित्र, पहाड़ों से अनवरत बहती जल धारा, गहरी खाइयां और चारों ओर से घिरे घनघोर जंगल के बीच महाराज सच्चिदानंद के परमहंस आश्रम ने यहां पर्यटन और आध्यात्म को एक ही रंग में बांधा हुआ है।
ऐतिहासिक गुफाएं और राष्ट्रीय उद्यान
इसके अलावा सीधी और सिंगरौली जिलों में संजय़ गांधी उद्यान, सिंगरौली की माड़ा गुफाएं, सोन नदी में भवंरसेन का तट, उमरिया का बांधवगढ़ नेशनल पार्क, पन्ना का टाइगर रिजर्व भी नए वर्ष में घूमने के लिहाज से पसंद किया जा रहा है।
इसके अलावा सीधी और सिंगरौली जिलों में संजय़ गांधी उद्यान, सिंगरौली की माड़ा गुफाएं, सोन नदी में भवंरसेन का तट, उमरिया का बांधवगढ़ नेशनल पार्क, पन्ना का टाइगर रिजर्व भी नए वर्ष में घूमने के लिहाज से पसंद किया जा रहा है।
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