रीवा | जिले के आरटीओ कार्यालय की बदहाली आमजनों की मुसीबत बनती जा रही है। कहने को आरटीओ दफ्तर में दोपहिया से लेकर भारी भरकम ट्रकों का रजिस्ट्रेशन होता है परंतु कार्यालय में वाहन खड़ा करने की जगह ही नहीं है। जिस कारण से सड़क किनारे बस, ट्रक, आॅटो का रजिस्ट्रेशन किया जाता है।
कार्यालय में परमिट, लायसेंस, कर के लिए अलग से खिड़कियां बनाई गई हैं परंतु यहां से कर्मचारी कब गायब हो जाते हैं पता ही नहीं चलता। ऐसे में यहां आने वाले वाहन स्वामी अपनी समस्या को लेकर दर-ब-दर भटकते रहते हैं। आरटीओ कार्यालय की बदइंतजामी के चलते यहां आने वाले लोग इधर-उधर अपने कागजात लेकर घूमते रहते हैं। क्योंकि खिड़कियों के बाहर स्पष्ट शब्दों में विभाग का नाम लिखा ही नहीं है।
बिचौलियों के माध्यम से बनता है लायसेंस
जिले में लायसेंस बनवाने की प्रक्रिया में विभाग से ज्यादा बिचौलियों का सहयोग रहता है। आवेदनकर्ता लाइन में खड़े होने के डर से बिचौलिए का सहारा लेता है। जिसके बाद कमीशन देने के बाद बिना औपचारिकता निभाए आवेदनकर्ता का तुरंत लायसेंस बन जाता है। ऐसे में कर्मचारियों पर दलालों से साठगाठ होने का प्रश्न उठता है। लायसेंस बनवाने के लिए यहां वाहन चालकों का कोई टेस्ट नहीं होता। जिस कारण से अनाड़ियों को भी आसानी से सड़क पर वाहन दौड़ाने का लायसेंस उपलब्ध हो जाता है।
जिले में लायसेंस बनवाने की प्रक्रिया में विभाग से ज्यादा बिचौलियों का सहयोग रहता है। आवेदनकर्ता लाइन में खड़े होने के डर से बिचौलिए का सहारा लेता है। जिसके बाद कमीशन देने के बाद बिना औपचारिकता निभाए आवेदनकर्ता का तुरंत लायसेंस बन जाता है। ऐसे में कर्मचारियों पर दलालों से साठगाठ होने का प्रश्न उठता है। लायसेंस बनवाने के लिए यहां वाहन चालकों का कोई टेस्ट नहीं होता। जिस कारण से अनाड़ियों को भी आसानी से सड़क पर वाहन दौड़ाने का लायसेंस उपलब्ध हो जाता है।
सड़क किनारे होता है वाहनों का रजिस्ट्रेशन - जिला आरटीओ कार्यालय में जब्त किए गए वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। थोड़ी सी भूमि में बस, ट्रक, दर्जनों आॅटो व सैकड़ों दोपहिया वाहन खड़े-खड़े खचाड़ा हो रहे हैं। परंतु उनको यहां से हटाकर अन्य स्थान में ले जाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। आलम यह है कि रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कार्यालय में आने वाले वाहनों को दफ्तर से बाहर सड़क किनारे खड़ा किया जाता है। जिससे यातायात व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है।
कभी भी गायब हो जाते हैं कर्मचारी
आरटीओ कार्यालय में बैठने वाले विभिन्न शाखाओं के कर्मचारियों के लंच का कोई समय निर्धारित नहीं है। ऐसे में मनमर्जी उठकर कभी भी कर्मचारी चल देते हैं और खिड़कियों के बाहर यहां आने वाले लोगों की लाइन लगी रहती है।
आरटीओ कार्यालय में बैठने वाले विभिन्न शाखाओं के कर्मचारियों के लंच का कोई समय निर्धारित नहीं है। ऐसे में मनमर्जी उठकर कभी भी कर्मचारी चल देते हैं और खिड़कियों के बाहर यहां आने वाले लोगों की लाइन लगी रहती है।
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