भोपाल। आज बजट भाषण में वित्त मंत्री जयंत मलैया ने स्पष्ट रूप से अध्यापक संवर्ग को समाप्त कर शिक्षक बनाने की घोषणा की जो 21 जनवरी की घोषणा के अनुरूप है। पिछले तीन दिन में वायरल हुये दो लिखित दस्तावेजों से अध्यापकों में शंका की स्तिथि निर्मित हो रही थी। पहला राज्यपाल का अभिभाषण था जिसमे अध्यापकों को शिक्षकों के समतुल्य करने का उल्लेख था। दूसरा शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि अध्यापक संवर्ग की सेवाएं शिक्षा और आजाक विभाग के अधीनस्थ की जाएगी।
ये दोनों शब्द समतुल्य और अधीनस्थ अधिकारियों की खोज थी क्योंकि उक्त भाषण और उत्तर अधिकारियों ने तैयार किये थे किन्तु आज का बजट भाषण एक राजनैतिक दस्तावेज है जिसका एक एक शब्द देख परख कर उपयोग किया गया है। हमेशा यही होता रहा है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं को अधिकारी वर्ग विसंगतियों का शिकार बनाता है।
इस बार भी कोशिश शुरू हुई थी किन्तु वित्त मंत्री ने अधिकारियों की शब्दावली पर राजनैतिक हथौड़ा चला दिया और सरकार की मंशा स्पष्ट कर दी। आगे भी यह वर्ग अध्यापकों का नुकसान करने का पूरा प्रयास करेंगे अतः सचेत रहने की आवश्यकता है। हमारी छोटी सी मांग थी सितम्बर 2013 से 6 था वेतन मय एरियर के साथ तथा जनवरी 16 से सातवाँ वेतन मिले मुख्यमंत्री महोदय की घोषणा अनुसार।
अध्यापक संघर्ष समिति मप्र
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