सतना। शहर में मिलावट का खेल खेल रहे दूध वालों पर जब जांच की आंच आई तो वह अपना बोरिया बिस्तर समेट भागने लगे। जिसको जो गली समझ आई वहां से नौ दो ग्यारह हो लिए। जानकारी के अनुसार सिविल लाइन में खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के दो अधिकारियों ने अचानक दबिश दे दी।
अफसरों को आता देख दूध वालों में खलबली मच गई। व्यापारी अपना व्यापार छोड़ डिब्बा, साइकिल उठाते हुए भाग खड़े हुए। जबकि जो खाद्य निरीक्षकों की जद में आ गए, उनके डिब्बों से दूध का सेम्पल लिया गया जिसकी जांच कराई जाएगी उसकी गुणवत्ता की पड़ताल होगी कि आखिर यह खाने लायक है या सेहत के लिए हानिकारक। जांच रिपोर्ट ही सच से पर्दा उठाएगी।
दूध के दो सेम्पल
सोमवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन के दो निरीक्षकों ने कोठी तिराहे से दूध वालों के दो सेम्पल लिए हैं जिसमें ललित पाल व राम प्रकाश रजक से दो-दो लीटर दूध लिया गया है। इस कार्रवाई में निरीक्षक वेद प्रकाश चौबे व शीतल सिंह शामिल थे। सेम्पल लेने की यह प्रक्रिया सुबह साढे 11 बजे की है। बताया जाता है कि जब जांच टीम पहुंची तो भारी मात्रा में यहां दूध वाले जमा थे लेकिन इन्हें देखते ही भाग खड़े हुए।
सोमवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन के दो निरीक्षकों ने कोठी तिराहे से दूध वालों के दो सेम्पल लिए हैं जिसमें ललित पाल व राम प्रकाश रजक से दो-दो लीटर दूध लिया गया है। इस कार्रवाई में निरीक्षक वेद प्रकाश चौबे व शीतल सिंह शामिल थे। सेम्पल लेने की यह प्रक्रिया सुबह साढे 11 बजे की है। बताया जाता है कि जब जांच टीम पहुंची तो भारी मात्रा में यहां दूध वाले जमा थे लेकिन इन्हें देखते ही भाग खड़े हुए।
काली कमाई तभी तो भय
जाहिर सी बात है कि सफेद दूध का काला धंधा इन्हें दूध वालों द्वारा परवान चढ़ाया जाता है। वरना डरने की जरूरत ही क्या है? आखिर ऐसा कौन सा जुर्म है कि खाद्य निरीक्षकों को देखते ही दूध कारोबारी भागने के लिए गलियां झांकते हैं? क्या इनके दूध में पानी से ज्यादा मिलावट सेंथेटिक पदार्थों का है। अगर नहीं तो फिर अपने सामान की जांच कराने में भय क्यों? क्योंकि चोरी व सीनाजोरी तो नहीं हो सकती।
जाहिर सी बात है कि सफेद दूध का काला धंधा इन्हें दूध वालों द्वारा परवान चढ़ाया जाता है। वरना डरने की जरूरत ही क्या है? आखिर ऐसा कौन सा जुर्म है कि खाद्य निरीक्षकों को देखते ही दूध कारोबारी भागने के लिए गलियां झांकते हैं? क्या इनके दूध में पानी से ज्यादा मिलावट सेंथेटिक पदार्थों का है। अगर नहीं तो फिर अपने सामान की जांच कराने में भय क्यों? क्योंकि चोरी व सीनाजोरी तो नहीं हो सकती।
अब खोवा पर भी नजर
त्योहारों के दौरान शहर के बड़े मिठाई कारोबारी 10 से 15 दिन पूर्व मिठाईयां बनाकर कोल्ड स्टोरों में उनका स्टाक करते हैं। होली के चंद दिन ही बचे हैं और मिठाई कारोबारी अपना स्टाक तैयार कर चुके हैं जो एक से दो दिन बाद बाजार में उतरेगा। दूसरी ओर भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर व यूपी बार्डर से लगे गांव व कुछ जिलों से व्यापक पैमाने पर खोवा टेÑन व बस के माध्यम से सतना उतरता है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अगली नजर इन खोवा कारोबारियों पर है जो मिलावटी मावा शहर में औने-पौन दाम पर बेचते हैं। हालांकि दीपावली के समय इनके विरुद्ध भी जब कार्रवाई हुई तो मावे की डलिया छोड़ भाग खड़े हुए थे।
त्योहारों के दौरान शहर के बड़े मिठाई कारोबारी 10 से 15 दिन पूर्व मिठाईयां बनाकर कोल्ड स्टोरों में उनका स्टाक करते हैं। होली के चंद दिन ही बचे हैं और मिठाई कारोबारी अपना स्टाक तैयार कर चुके हैं जो एक से दो दिन बाद बाजार में उतरेगा। दूसरी ओर भिण्ड, मुरैना, ग्वालियर व यूपी बार्डर से लगे गांव व कुछ जिलों से व्यापक पैमाने पर खोवा टेÑन व बस के माध्यम से सतना उतरता है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अगली नजर इन खोवा कारोबारियों पर है जो मिलावटी मावा शहर में औने-पौन दाम पर बेचते हैं। हालांकि दीपावली के समय इनके विरुद्ध भी जब कार्रवाई हुई तो मावे की डलिया छोड़ भाग खड़े हुए थे।
दो दूध व्यापारियों से दो सेम्पल लिए गए हैं जिनकी जांच कराई जाएगी। यह सही है कि जांच के दौरान दूध वाले भागने लगे। दो को हमने पकड़ा, उनके सेम्पल लिए हैं। प्रथम दृष्टया तो दोनों की गुणवत्ता ठीकठाक लग रही थी।
शीतल सिंह, खाद्य निरीक्षक
शीतल सिंह, खाद्य निरीक्षक
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