रीवा। महिलाओं की सुरक्षा में बढ़ते अपराधों को काबू पाने, सरकार द्वारा आँतरिक परिवाद समिति के गठन की योजना विगत कई वर्षों से चलाई जा रही है। बावजूद इसके महिलाओं से जुड़ी- छेड़खानी तथा लैंगिक उत्पीड़न जैसी घटनाओं की बढ़ोत्तरी होती ही जा रही है। जिसके मद्देनजर महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा योजना को प्रभावशील बनाने कमर कस ली गई है। जिसके चलते 15 मार्च से हर सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में परिवाद समिति होने की पुष्टि हेतु संबंधित विभाग के अधिकारी सघन जांच दौरे पर रहेंगे।
नियमों के उल्लंघन पर होगा पचास हजार का जुर्माना
यदि कोई नियोजक उक्त अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत,आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने में असफल रहता है या अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है या कि उल्लंघन को दुष्प्रेरित करता है। तो ऐसी परिस्थिति में विभाग द्वारा उसे 50,000 जुर्माने से दंडित किया जाना तय किया गया है। अत: जिले के समस्त ऐसे स्थान जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी व अधिकारी काम करते हैं,वहां आंतरिक परिवाद समिति गठित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
यदि कोई नियोजक उक्त अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत,आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने में असफल रहता है या अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है या कि उल्लंघन को दुष्प्रेरित करता है। तो ऐसी परिस्थिति में विभाग द्वारा उसे 50,000 जुर्माने से दंडित किया जाना तय किया गया है। अत: जिले के समस्त ऐसे स्थान जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी व अधिकारी काम करते हैं,वहां आंतरिक परिवाद समिति गठित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
इन संस्थानों में अनिवार्य होगी परिवाद समिति
योजना को सफल व सार्थक क्रियान्वित करने इन सभी संस्थाओं में समिति का गठन होना अनिवार्य कर दिया गया है। जिनमें सभी प्राइवेट सेक्टर, सोसाइटी, दुकानें, बैंक, सहकारी संस्थाएं, शिक्षण व प्रशिक्षण केंद्र, उद्यम, मनोरंजन संस्थाए, अस्पताल, स्टेडियम खेलकूद संस्थान, निवास गृह, जहां 10 की संख्या से अधिक कर्मचारी-अधिकारी व सदस्य कार्यरत हो,परिवाद समिति का होना अति आवश्यक है, जिसे अनिवार्य कर दिया गया है।
योजना को सफल व सार्थक क्रियान्वित करने इन सभी संस्थाओं में समिति का गठन होना अनिवार्य कर दिया गया है। जिनमें सभी प्राइवेट सेक्टर, सोसाइटी, दुकानें, बैंक, सहकारी संस्थाएं, शिक्षण व प्रशिक्षण केंद्र, उद्यम, मनोरंजन संस्थाए, अस्पताल, स्टेडियम खेलकूद संस्थान, निवास गृह, जहां 10 की संख्या से अधिक कर्मचारी-अधिकारी व सदस्य कार्यरत हो,परिवाद समिति का होना अति आवश्यक है, जिसे अनिवार्य कर दिया गया है।
दोषियों पर होगी विधिक कार्यवाही
महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा 15 मार्च के बाद विभागीय अधिकारियों द्वारा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में जाकर परिवाद समिति गठित होने या न होने की सघन जांच पड़ताल की जाएगी। किसी भी संस्था में परिवाद समिति गठित न पाए जाने पर संबंधित संस्थान व अधिकारी पर विधिक (दण्डात्मक) कार्यवाही की जाएगी।
आशीष दुबे अधिकारी, महिला सशक्तिकरण विभाग
महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा 15 मार्च के बाद विभागीय अधिकारियों द्वारा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में जाकर परिवाद समिति गठित होने या न होने की सघन जांच पड़ताल की जाएगी। किसी भी संस्था में परिवाद समिति गठित न पाए जाने पर संबंधित संस्थान व अधिकारी पर विधिक (दण्डात्मक) कार्यवाही की जाएगी।
आशीष दुबे अधिकारी, महिला सशक्तिकरण विभाग
Comments
Post a Comment