रीवा. न्यायालय भवन स्थानांतरण मुद्दे को लेकर बीते करीब छह महीने से चल रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन के चलते नवीन न्यायालय भवन के निर्माण में बदलाव की बात सामने आई है। उच्च न्यायालय ने पूर्व में स्वीकृत न्यायालय भवन निर्माण पर रोक लगाते हुए पुरानी ड्राइंग व डिजाइन निरस्त कर दी है। यह दावा राज्य अधिव ता परिषद मध्यप्रदेश के अध्यक्ष शिवेंद्र उपाध्याय व जिला अधिव ता संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पांडेय ने अधिव ता संघ कार्यालय में पत्रकारवार्ता में किया है।
परिषद अध्यक्ष उपाध्याय ने बताया कि उच्च न्यायालय ने न्यायालय ावन निर्माण की कार्ययोजना का विस्तार कर पांच मंजिला कर दिया है, जिसकी लागत अब 200 करोड़ से अधिक हो गई। इसलिए पूर्व में स्वीकृत ड्राइंग डिजाइन निरस्त करने के साथ ही निर्माण पर भी रोक लगा दी है। अब जब तक नई डिजाइन नहीं आएगी, तब तक न्यायालय भवन का निर्माण कार्य रुका रहेगा। हालांकि, वे डिजाइन निरस्त संबंधी कोई आदेश नहीं दिखा पाए।
उन्होंने दावा किया, नवीन न्यायालय भवन में संशोधन का प्रस्ताव उच्च न्यायालय स्तर पर बना है। दोनों अध्यक्षों
ने यह भी बताया कि निर्माण एजेंसी द्वारा प्लिंथ लेवल का काम दो मंजिल के मापदंड के तहत कराया जा चुका है। इसलिए दोबारा उसे तोड़कर पांच मंजिल के लिए करना संभव नहीं होगा। इसलिए अब न्यायालय भवन किसी दूसरी जगह बनेगा। इससे न्यायालय भवन पुराने भवन के पास बनने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
उपाध्यक्ष ने बताया, 3 अप्रैल को इसी सिलसिले में चर्चा के लिए मु यमंत्री द्वारा समय दिया गया है, जिसमें नवीन निर्माण स्थल पर मार्तण्ड स्कूल क्रमांक एक व दो को शि ट करने संबंधी चर्चा की जाएगी। मु यमंत्री को यह बताया जाएगा कि इंजीनियरिंग कॉलेज में बन रही इमारत का निर्माण पूरा कराकर दोनों विद्यालयों को शि ट किये जाने से शिक्षा कैंपस का निर्माण होगा और मार्तंड स्कूल की सभी शाखाएं एक जगह पर हो जाएंगी। मार्तण्ड एक व तीन की जमीन मिल जाने से न्यायालय भवन के लिए पर्याप्त जगह भी मिल जाएगी और न्यायालय भवन के लिए बनी नींव में खर्च 10-12 करोड़ की भी भरपाई हो जाएगी। दोनों अध्यक्षों ने उ मीद जताई कि वह मिशन में सफल होंगे और अधिव ताओं की मंशानुसार पुराने न्यायालय भवन के पास ही नवीन न्यायालय भवन का निर्माण होगा। उच्च न्यायालय की नवीन योजना के तहत 100 वर्ष के लिए 100 कोर्ट चे बरों के निर्माण की रूपरेखा तैयार की गई है।
निर्माण कार्य पर रोक नहीं
इसके विपरीत निर्माण एजेंसी सीता हो स के डायरे टर ओमविजय वर्गीय ने फोन पर परिषद अध्यक्ष के दावों को खारिज किया और कहा, निर्माण कार्य पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट चेंबर का निर्माण यथावत रहेगा। अधिवक्ता चेंबरों के बदलाव की योजना है। डिजाइन आते ही नींव को पांच मंजिल के हिसाब बना लिया जाएगा। इसमें न ज्यादा नुकसान होगा न अधिाार ही पड़ेगा। जबकि पीआईयू के एसडीओ संजीव कालरा ने कहा, काम में रोक संबंधी किसी भी आदेश की जानकारी नहीं है।
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