रीवा | स्कूल शिक्षा के
नए सत्र में लापरवाह शिक्षकों को ध्यान में रखते हुए ई-शिक्षा मित्र ऐप
योजना बनाई गई है जिसमें अध्यापकों को ऐप के जरिये अपनी अटेंडेंस दर्ज
करानी होगी। साथ ही सरकार के द्वारा जारी की गई इस योजना का मकसद
डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देना भी है। मगर शिक्षकों ने गुरुवार को मार्तण्ड
क्रमांक-1 में एकत्रित होकर ऐप न डाउनलोड करने की प्रतिज्ञा ली है।
ई-अटेंडेंस का विरोध करते हुए शिक्षकों का
कहना है कि ऐप के संबंध में उन्हें शासन द्वारा कोई भी प्रशिक्षण नहीं
दिया गया और न ही कई शिक्षकों को स्मार्ट फोन चलाना आता है। महंगाई का
हवाला देते हुए शिक्षकों ने यह भी कहा कि शासन जबरन उनसे 10 से 15 हजार
रुपए के मोबाइल खरीदने के लिए दबाव बना रहा है। जिसकी वजह शासन की मोबाइल
एवं सिम कंपनियों से साठगाठ है। ताज्जुब की बात है कि शासकीय स्कूलों में
पढ़ाने वाले शिक्षकों को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता है और न ही उनके पास
मोबाइल खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे हैं।
लिपिकीय कर्मचारियों पर भी लागू हो नियम
शिक्षकों की मांग है कि शिक्षा विभाग के लिपिकीय कर्मचारियों चाहे वह सीपीआई कार्यालय हो या डीपीआई। सभी में ई-शिक्षा मित्र ऐप के जरिये अटेंडेंस लागू होनी चाहिए। उसके बाद ही शिक्षक वर्ग अप्लीकेशन को इस्तेमाल करना शुरू करेंगे।
शिक्षकों की मांग है कि शिक्षा विभाग के लिपिकीय कर्मचारियों चाहे वह सीपीआई कार्यालय हो या डीपीआई। सभी में ई-शिक्षा मित्र ऐप के जरिये अटेंडेंस लागू होनी चाहिए। उसके बाद ही शिक्षक वर्ग अप्लीकेशन को इस्तेमाल करना शुरू करेंगे।
एक हफ्ते ट्रेनिंग की उठाई मांग
शिक्षकों का कहना है कि जिन अध्यापकों को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता है, अगर वह सही समय पर स्कूल भी जाएंगे और हाजिरी नहीं लगा पाएंगे तो उनकी अनुपस्थिति दर्ज करके वेतनमान रोकना न्यायसंगत नहीं होगा। जिसके लिए सभी स्कूलों के शिक्षकों को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाए। ताकि मोबाइल ऐप अटेंडेंस के लिए वह पारंगत हो जाएं। उसके बाद जब शिक्षक अटेंडेंस न लगा पाएं तक उन्हें वेतन कटौती जैसे दण्ड दिए जाएं।
शिक्षकों का कहना है कि जिन अध्यापकों को स्मार्ट फोन चलाना नहीं आता है, अगर वह सही समय पर स्कूल भी जाएंगे और हाजिरी नहीं लगा पाएंगे तो उनकी अनुपस्थिति दर्ज करके वेतनमान रोकना न्यायसंगत नहीं होगा। जिसके लिए सभी स्कूलों के शिक्षकों को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाए। ताकि मोबाइल ऐप अटेंडेंस के लिए वह पारंगत हो जाएं। उसके बाद जब शिक्षक अटेंडेंस न लगा पाएं तक उन्हें वेतन कटौती जैसे दण्ड दिए जाएं।
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