रीवा | शहर के ऐतिहासिक काली माता मंदिर रानीतालाब पार्क में आए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जब पार्क के होमगार्ड द्वारा दुर्लभ प्रजाति के सफेद उल्लू को पकड़ने की सूचना मिली। बताया गया है कि विलुप्त होती जा रही सफेद उल्लू की प्रजाति का यह पक्षी तालाब के बीचोंबीच स्थित पुराने मंदिर में रहा करता था। जो कि शुक्रवार को कौओं के हमले से बचते-बचते तालाब में आ गिरा। जिसके बाद वहां स्थित होमगार्ड सैनिकों द्वारा उसे तालाब से बाहर निकाला गया।
तत्पश्चात स्टार समाचार टीम ने घायल उल्लू की हालत देखते हुए तुरंत वन विभाग को फोन लगाया। जिसके बाद वन विभाग की टीम उसे रेस्क्यू करके तुरंत पशु चिकित्सालय ले गई। मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार दोपहर 12 बजे के समीप तालाब के बीचोंबीच स्थित मंदिर से कुछ कौओं ने दुर्लभ उल्लू को खदेड़ डाला।
जिसके बाद बचते-बचाते वह तालाब में आ गिरा। तभी पार्क के होमगार्ड ने तालाब में उतरकर उसकी जान बचाई और उसे रस्सी से बांधकर किसी सुरक्षित हाथों में सौंपने का इंतजार करने लगे। उसी बीच वहां स्टार समाचार की टीम पहुंची और तुरंत वन विभाग को इस दुर्लभ प्रजाति के सफेद उल्लू के घायल अवस्था में पाए जाने की सूचना दी। जिसके बाद वन विभाग की टीम यहां आकर उसे अपने साथ ले गई।
हमेशा जोड़ों में ही रहता है यह
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पार्क में पाया गया यह सफेद उल्लू रेयर और विलुप्त प्रजाति के अंतर्गत आता है। इसे यूरेशियन ईगल आउल के नाम से भी जाना जाता है जो ज्यादातर पहाड़ी एवं चट्टानी इलाकों में पाया जाता है। जो हमेशा जोड़े में दिखाई पड़ता है। जिसकी घायल हालत को देखते हुए पशु चिकित्सक डॉ. अनवर खान को दिखाया गया। डॉक्टर ने उल्लू की हालत सामान्य बताई।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पार्क में पाया गया यह सफेद उल्लू रेयर और विलुप्त प्रजाति के अंतर्गत आता है। इसे यूरेशियन ईगल आउल के नाम से भी जाना जाता है जो ज्यादातर पहाड़ी एवं चट्टानी इलाकों में पाया जाता है। जो हमेशा जोड़े में दिखाई पड़ता है। जिसकी घायल हालत को देखते हुए पशु चिकित्सक डॉ. अनवर खान को दिखाया गया। डॉक्टर ने उल्लू की हालत सामान्य बताई।
तंत्र विद्या में भी होता है प्रयोग
जानकारों की मानें तो इसे अरुआ या घुघुआर के नाम से जाना जाता है। तंत्र विद्या में यह प्रयोग किया जाने वाला पक्षी है। लोगों की मानें तो तंत्र साधना में इस पक्षी को पकड़कर ऐसे लोग जिन्हें तंत्र विद्या सीखनी होती है, वह पहले इसको पालते हैं। नवरात्रि के समय अक्सर इस पक्षी की जरूरत तांत्रिकों को पड़ती है।
जानकारों की मानें तो इसे अरुआ या घुघुआर के नाम से जाना जाता है। तंत्र विद्या में यह प्रयोग किया जाने वाला पक्षी है। लोगों की मानें तो तंत्र साधना में इस पक्षी को पकड़कर ऐसे लोग जिन्हें तंत्र विद्या सीखनी होती है, वह पहले इसको पालते हैं। नवरात्रि के समय अक्सर इस पक्षी की जरूरत तांत्रिकों को पड़ती है।
बताया गया है कि तंत्र साधना के दौरान इस पक्षी से तांत्रिक जो कुछ भी जानकारी हासिल करना चाहता है वह बता देता है। यहां तक कि वह मौत तक बता सकता है। इसी डर से तांत्रिक अपने उपयोग की चीजें पूछने के बाद जब उनको ऐसा लगता है कि यह अब मौत बताने वाला है तो उसको मार देते हैं। माना यह जा रहा है कि इसके द्वारा बताई गई मौत सही होती है। यही वजह है कि यह प्रजाति पूरी तरह से विलुप्तता की कगार पर है।
गोविंदगढ़ के जंगल में छोड़ा गया
शुक्रवार रात को सफेद उल्लू को गोविंदगढ़ के जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया। ताकि रात को वह ठीक से देख सके और उसे चील, कौओं का खतरा न हो।
शुक्रवार रात को सफेद उल्लू को गोविंदगढ़ के जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया। ताकि रात को वह ठीक से देख सके और उसे चील, कौओं का खतरा न हो।
यह एक विलुप्त प्रजाति का सफेद उल्लू है। जिसे रेस्क्यू करने के बाद पशु चिकित्सक को दिखाया गया। उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे स्वस्थ बताया है।
हरिनाथ दास अहिरवार, वनरक्षक, वन परिक्षेत्र रीवा
हरिनाथ दास अहिरवार, वनरक्षक, वन परिक्षेत्र रीवा
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