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मप्र के दर्जनों नर्सिंग कॉलेज बंद होंगे | MP NEWS


सरकार द्वारा बनाए जा रहे नए नियमों के लागू होने के बाद अब दो-तीन कमरे किराए पर लेकर NURSING COLLEGE चलाना संभव नहीं होगा। नर्सिंग कॉलेज वही संस्था संचालित कर सकेगी, जिसके पास खुद का शैक्षणिक भवन, अस्पताल और होस्टल होगा। नए नियमों के ड्राफ्ट के मुताबिक टीचिंग स्टाफ, लाइब्रेरी, शैक्षणिक उपकरणों के मापदंडों में भी कई बदलाव किए गए हैं। गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इंडियन नर्सिंग काउंसिल से नर्सिंग पाठ्यक्रमों को मान्यता देने का अधिकार छीनकर राज्य सरकारों को दे दिया था। कई राज्यों ने अपने स्तर पर नर्सिंग कोर्स को मान्यता देना शुरू भी कर दी थी, लेकिन प्रदेश में नियम न बन पाने के कारण यह काम अटका हुआ था।


नए नियमों में स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ नर्सिंग कॉलेज ही नहीं, नर्सिंग डिप्लोमा के जीएनएम कोर्स के लिए भी संस्था के पास खुद का कम से कम 20 हजार वर्गफीट का शैक्षणिक भवन जरूरी होगा। उसी परिसर में 18 हजार वर्गफीट का होस्टल भी बनाना होगा। इसके लिए कॉलेज शुरू होने के वर्ष से 2 वर्ष की छूट दी गई है। प्रशिक्षण के लिए ले जाने के लिए 25 सीटर बस भी रखना होगी।

30 किलोमीटर के दायरे में अस्पताल जरूरी
अब सिर्फ किसी अस्पताल से संबद्ध होने का प्रमाण पत्र लगाने से काम नहीं चलेगा। अस्पताल और नर्सिंग कोर्स चलाने वाली संस्था के बोर्ड में कम से कम 1 सदस्य का शामिल होना अनिवार्य होगा। 100 बेड के अस्पताल से प्रस्तावित संस्था की दूरी अधिकतम 30 किलोमीटर होना चाहिए। आदिवासी क्षेत्रों में यह सीमा 50 किलोमीटर रखी गई है।

एक परिसर में एक ही कॉलेज को मान्यता
अभी तक एक ही परिसर में अलग-अलग नामों से कहीं नर्सिंग स्कूल और कहीं कॉलेज संचालित होते थे। शासन से मिलने वाली छात्रवृत्ति का फायदा उठाने के लिए उनके मालिक और कई बार छात्र भी एक होते थे। नए नियमों के लागू होने के बाद इस पर रोक लग जाएगी। एक ही परिसर में नर्सिंग स्कूल के साथ बीएससी और एमएससी नर्सिंग के पाठ्यक्रम तभी संचालित किए जा सकेंगे, जबकि उनके मालिक व कॉलेज का नाम एक ही हो।

प्रोफेसर के लिए 10 वर्ष का अनुभव जरूरी
जीएनएम से लेकर बीएससी, एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम तक के लिए हर 10 शिक्षक में 7 महिला और 3 पुरुष शिक्षक होंगे। नर्सिंग के डिग्री कोर्स के लिए प्रोफेसर को एमएससी नर्सिंग के साथ कम से कम 10 वर्ष का अनुभव जरूरी होगा। हालांकि जो मापदंड तैयार किए गए हैं, उनके मुताबिक प्रदेश में शिक्षक ही उपलब्ध नहीं है। कड़ाई से नियम लागू हुए तो कई नर्सिंग कॉलेज बंद हो जाएंगे।

प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन नाराज
प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन के अभय दुबे कहते हैं कि सरकार को नए नियम बनाने से पहले कॉलेज संचालकों से भी सुझाव लेना थे। जिस तरह के मापदंड तैयार किए जा रहे हैं, उसके चलते नर्सिंग पाठ्यक्रम इतने महंगे हो जाएंगे कि गरीब छात्रों के लिए कोर्स करना कठिन हो जाएगा। मेडिकल यूनिवर्सिटी बन जाने के बाद वैसे ही हर छात्र पर शुल्क का बोझ 30 हजार से ज्यादा बढ़ गया है। यह अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि 20 हजार से कहीं ज्यादा है। इसे भी बढ़ाना होगा, नहीं तो एक बड़ा तबका शिक्षा से वंचित रह जाएगा। गौरतलब है कि शहर में 30 नर्सिंग स्कूल-कॉलेज हैं।

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