रीवा। (Rituraj Dwivedi) मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अब 6 माह ही शेष है। लिहाजा आम जनों के बीच चुनावी चर्चाएं तेजी से शुरू हो गई हैं। वहीं सोशल मीडिया में भी चुनावी चर्चाएं तेजी से चल रही है। रीवा रियासत डॉट कॉम द्वारा मार्च माह से लेकर अप्रैल माह तक रीवा विधानसभा सीट के लिए सर्वे किया गया, जिसमें कविता पाण्डेय जनता की पहली पसंद बनकर उभरी हैं।
रीवा विधानसभा का चुनाव इस बार काफी खास रहेगा। अच्छी टक्कर देखने को मिल सकती है। पिछले 3 पंचवर्षीय इस सीट से शिवराज सरकार के मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने लगातार बाजी मारी है। हालात तो यह हैं कि कांग्रेस यहां पनप भी नही पा रही थी। एक बात तो यह भी साफ है कांग्रेस जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट बांट पाने में भी काफी हद तक असफल रही है। इसी कारण रीवा विधानसभा सीट में बीजेपी के राजेन्द्र शुक्ल के सामने कोई टिका ही नही और कांग्रेस ने विन्ध्य की इस सबसे महत्वपूर्ण सीट से जमानत जप्त करा ली।
अभय मिश्र और कविता के बीच हुआ सर्वे
सर्वे कांग्रेस की रीवा विस से उम्मीदवारी को लेकर था। तो नए नवेले कांग्रेसी नेता एवं जिला पंचायत अध्यक्ष रीवा अभय मिश्रा और कविता पाण्डेय के बारे में लोगों की राय जानी गई। सर्वे में लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया, जहां 68 फीसदी लोगों की पहली पसंद कविता पाण्डेय बनकर उभरी तो अभय 32 फीसदी तक ही सीमित रह गए।
बता दें दो माह पूर्व ही अभय मिश्र ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस ज्वाइन किया था। सूत्रों की माने तो अभय मिश्रा रीवा विधानसभा से बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं। वहीं कविता महापौर पद के लिए कांग्रेस से सबसे दमदार प्रत्यासी थी, परंतु कांग्रेस ने टिकट नही दिया, और कविता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उन्होने चुनाव निर्दलीय लड़ा, और बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर आकर अपना जमीनी वर्चस्व कांग्रेस को दिखाया। अब शुभचिंतकों को उम्मीद है कि कांग्रेस कविता की घरवापसी कराकर उन्हे रीवा विधानसभा से उम्मीदवारी देगी, और वे ही एकमात्र राजेन्द्र शुक्ला से सीधी टक्कर लेने की दमदारी रखती हैं।
इसलिए कविता हैं खास
कविता पाण्डेय नेता होने के पहले एक समाजसेविका के रूप में जानी जाती हैं। विन्ध्य के सफेद शेर के नाम से विख्यात स्व. श्रीनिवास तिवारी की वे भतीजी हैं, तो नेता होने के सभी गुण भी उन्हे विरासत में मिले हैं। कविता कई वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय हैं, जनता के सुख-दुःख में प्रायः खड़ी दिखती हैं, इसके साथ ही युवा वर्ग के बीच कविता काफी लोकप्रिय हैं। इस कारण कविता का आम आदमी से जुड़ाव अन्य नेताओं की तुलना में काफी अधिक है, जिसका उन्हे सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है। अब देखना यह है कि सत्ता पाने के लिए क्या कांग्रेस जमीनी जिताऊ कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाती है, या फिर हमेशा की भांति सिफारिशी कार्यकताओं को टिकट देकर अपनी जमानत जप्त कराती है। हांलाकि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रीवा में कविता पाण्डेय को टिकट देने के लिए आश्वस्त किया था। कविता ने इस चुनावी दंगल में कूदने का पूरा मन बना लिया है, सूत्रों की माने तो कविता को अगर कांग्रेस टिकट देने में अनदेखा करती है तो वे बिना किसी सिंबल के ही इस दंगल में कूदेंगी।
कमलनाथ के अध्यक्ष बनने से मंगू की दावेदारी भी मजबूत
बता दें पखवाड़े भर पूर्व ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर बदलाव कर दिए हैं। उन्होने मप्र की कमान 71 वर्षीय कमलनाथ को देते हुए 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हैं। रीवा के कांग्रेस नेता गुरमीत सिंह मंगू से कमलनाथ की नजदीकियां जगजाहिर हैं, इस कारण मंगू सरदार का भी रीवा विधानसभा से टिकट की दावेदारी का पलड़ा भारी पड़ सकता है।
अभय को राहुल का सहारा
कांग्रेस में नए नवेले एंट्री करने वाले अभय मिश्रा यूं तो राजनीति की दुनिया में बादशाह माने जाते हैं। परंतु कांग्रेस में आने के बाद उनकी बागडोर कुछ फसी सी नजर आने लगी है। अभय मिश्रा वर्तमान में रीवा जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, और प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल से उनके घनिष्ठ संबंध भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद अब राहुल भैया ही उनका एकमात्र सहारा बचे हैं, अगर विन्ध्य के टिकट वितरण की जिम्मेदारी राहुल भैया के जिम्मे होती है तो अभय को रीवा विधानसभा का टिकट मिलना लगभग तय है। सूत्रों की माने तो अभय की नजर रीवा एवं सिरमौर दोनो सीटों पर है। अभय की पत्नी नीलम मिश्रा भाजपा की ओर से सेमरिया विधानसभा की विधायिका हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट रीवा (Rituraj Dwivedi)
ब्यूरो रिपोर्ट रीवा (Rituraj Dwivedi)
अभय मिश्र कहीं से भी चुनाव नहीं जीतने वाले हैं।
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