रीवा। साल की शुरुआत में कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक द्वारा यातायात व्यवस्था में सुधार लाने के लिए यातायात पुलिस प्रभारी और बस संचालकों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में कलेक्टर ने यातायात पुलिस को यह सख्त निर्देश दिए थे कि शहर की सड़कों के किनारे और विक्रम पुल में 24 घण्टे खड़ी रहने वाली बसों पर किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए।
निर्देश के तुरंत बाद यातायात पुलिस द्वारा शहर की सड़कों में खड़ी बसों पर कार्रवाई की गई मगर समय बीतते ही यातायात पुलिस फिर अपने पुराने रवैये में आ गई। साथ ही पुलिस की ढिलाई के कारण बस संचालक भी मनमानी पर उतर आए। आलम यह है कि बीहर नदी को पार कराने वाला विक्रम पुल फिर से अघोषित बस अड्डा बन गया है। जाहिर है कि घण्टों दर्जनों बसें पुल में खड़ी रहने के कारण ब्रिज में दबाव बनता है। जिससे पुल का क्षतिग्रस्त होने की संभावना बनी हुई है। कई बार जिला प्रशासन से इस समस्या को लेकर शिकायत की गई परंतु एकाध बार कार्रवाई करने के बाद जिला प्रशासन और यातायात पुलिस अपने द्वारा ही लिए गए निर्णय पर अमल करना बंद कर दिया है।
लोक निर्माण सेतु संभाग विभाग की भी है जिम्मेदारी
गौरतलब है कि लोक निर्माण सेतु संभाग विभाग को भी पुल संबंधित सभी शिकायतों का निराकरण करना होता है। परंतु पिछले कई सालों से विक्रम पुल बसों का अघोषित अड्डा बन चुका है। मगर विभाग इस समस्या को लेकर कतई गंभीर नहीं है। आलम यह है कि विक्रम पुल में कई जगह से दरारें और गड्ढे बन रहे हैं। जो एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है।
गौरतलब है कि लोक निर्माण सेतु संभाग विभाग को भी पुल संबंधित सभी शिकायतों का निराकरण करना होता है। परंतु पिछले कई सालों से विक्रम पुल बसों का अघोषित अड्डा बन चुका है। मगर विभाग इस समस्या को लेकर कतई गंभीर नहीं है। आलम यह है कि विक्रम पुल में कई जगह से दरारें और गड्ढे बन रहे हैं। जो एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है।
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