रीवा। संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय में भर्ती मरीजों पर इस समय गर्मी की मार पड़ रही है। भीषण गर्मी के बाद भी यहां न तो ठण्डा पेयजल मिल रहा है और न ही हवा। अस्पताल प्रबंधन इन दोनों व्यवस्थाओं को करने में इस बार फेल रहा है। विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय के वार्डों में भर्ती मरीज इस समय गर्मी की वजह से तड़प रहे हैं।
यहां हर साल गर्मी के समय कूलर की व्यवस्थाएं की जाती थीं, जिससे भर्ती होने वाले मरीजों को थोड़ी राहत मिलती थी मगर इस बार अस्पताल के सभी वार्डों में कूलर की व्यवस्था नहीं की जा सकी। वहीं बिना पानी के मरीज और उनके साथ आने वाले परिजन ठण्डे पानी को तरस रहे हैं।
गौरतलब है कि जिले में गर्मी का कहर अपने चरम पर है। ऐसे में संजय गांधी और जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों की हालत और खराब होती जा रही है। मगर अस्पताल प्रबंधन रोगियों के लिए ठण्डे पानी और ठण्डी हवा की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। आलम यह है कि संजय गांधी अस्पताल में लोगों को अपने घर से कूलर लाना पड़ रहा है। बुखार सहित विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है मगर अस्पताल में कई पंखें बंद हैं जो प्रबंधन द्वारा कूलर की व्यवस्था की गई थी वह काफी नहीं है। ऐसे में गर्मी से राहत पाने के लिए घर से कूलर और टेबिल फैन लाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
ऊपरी मंजिल में भर्ती मरीजों की हालत पस्त
गौरतलब है कि संजय गांधी अस्पताल की ऊपरी मंजिल में सबसे ज्यादा गर्मी का प्रकोप पड़ रहा है। वहीं अस्पताल द्वारा हवा के लिए की गई कूलरों की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। आलम यह है कि एक वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए एक ही कूलर लगाया गया है। जिसकी हवा रोगियों तक पहुंच ही नहीं पाती है।
गौरतलब है कि संजय गांधी अस्पताल की ऊपरी मंजिल में सबसे ज्यादा गर्मी का प्रकोप पड़ रहा है। वहीं अस्पताल द्वारा हवा के लिए की गई कूलरों की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। आलम यह है कि एक वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए एक ही कूलर लगाया गया है। जिसकी हवा रोगियों तक पहुंच ही नहीं पाती है।
खराब हो गए वाटर कूलर
संजय गांधी अस्पताल और जिला चिकित्सालय में भर्ती होने वाले मरीजों को ठण्डा पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। लापरवाह अस्पताल प्रबंधन ने गर्मी को मद्देनजर रखते हुए खराब पड़े वाटर कूलर को दुरुस्त करने की भी नहीं सोची। आलम यह है कि अस्पताल आने वाले मरीजों को प्याऊ और समाजसेवा के लिए रखे गए मटकों में भरे पानी से काम चलाना पड़ रहा है। जबकि एसजीएमएच और जीएमएच में 12 वाटर कूलर लगाने की तैयारी की गई थी लेकिन यह योजना सफल नहीं हो पाई। शासकीय प्रक्रिया में देरी होने के चलते समय पर ये वाटर कूलर अब तक अस्पताल नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसा लगता है कि गर्मी खत्म होने के बाद अस्पताल को वाटर कूलर मिल पाएंगे।
संजय गांधी अस्पताल और जिला चिकित्सालय में भर्ती होने वाले मरीजों को ठण्डा पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। लापरवाह अस्पताल प्रबंधन ने गर्मी को मद्देनजर रखते हुए खराब पड़े वाटर कूलर को दुरुस्त करने की भी नहीं सोची। आलम यह है कि अस्पताल आने वाले मरीजों को प्याऊ और समाजसेवा के लिए रखे गए मटकों में भरे पानी से काम चलाना पड़ रहा है। जबकि एसजीएमएच और जीएमएच में 12 वाटर कूलर लगाने की तैयारी की गई थी लेकिन यह योजना सफल नहीं हो पाई। शासकीय प्रक्रिया में देरी होने के चलते समय पर ये वाटर कूलर अब तक अस्पताल नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसा लगता है कि गर्मी खत्म होने के बाद अस्पताल को वाटर कूलर मिल पाएंगे।
उल्टी और दस्त के शिकार हो रहे बच्चे
गर्मी के प्रकोप का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं पर पड़ा है। संजय गांधी और जिला चिकित्सालय में उल्टी और दस्त के शिकार बच्चों की भर्ती में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों की मानें तो लू लगने से काफी संख्या में बच्चे यहां भर्ती हो रहे हैं। जिनका इलाज चल रहा है।
गर्मी के प्रकोप का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं पर पड़ा है। संजय गांधी और जिला चिकित्सालय में उल्टी और दस्त के शिकार बच्चों की भर्ती में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों की मानें तो लू लगने से काफी संख्या में बच्चे यहां भर्ती हो रहे हैं। जिनका इलाज चल रहा है।
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