स्कूलों ने खुद उपलब्ध कराई जानकारी
रीवा। नियम कायदों को ठेंगा दिखाते हुए निजी स्कूलों के संचालकों ने एनसीइआरटी की किताबों को दरकिनार कर दिया है। ज्यादातर बड़े स्कूलों के संचालक निजी प्रकाशकों की किताब चला रहे हैं। इस बात का खुलासा स्कूलों की ओर से उपलब्ध कराई गई ऑनलाइन जानकारी से हुआ है।
ऑनलाइन उपलब्ध कराया जानकारी
अभी हाल में कलेक्टर की ओर बुलाई गई बैठक और उसमें जारी निर्देशों के मद्देनजर निजी स्कूल संचालकों ने ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। अब तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सीबीएसइ के ज्यादातर स्कूल मनमाने तरीके से बड़ी कक्षाओं में भी निजी प्रकाशकों की किताब चला रहे हैं। इतना ही नहीं कई स्कूलों ने फीस में 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी की है।
स्कूल जिनमें चल ही निजी प्रकाशक की किताब
स्कूलों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सेंट मैरी स्कूल, गुरुकुल विद्यालय, डी पॉल स्कूल, महर्षि बाल्मिकी, गीतांजलि, सेंट्रल एकेडमी, बाल भारती, रीवा इंटरनेशनल, दिव्य ज्योति, डीपीएस व ज्योति स्कूल में कक्षा पांचवीं के बाद कुछ विषयों को छोडक़र ज्यादातर विषय में निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई जा रही हैं।
फीस में की गई 10 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी
कई स्कूलों ने फीस में भी पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी की है। हालांकि बाल भारती सहित कुछ स्कूलों में अभी फीस का विवरण उपलब्ध नहीं कराया है। जबकि ज्योति स्कूल, सरस्वती स्कूल गुढ़, महर्षि दयानंद स्कूल व सरस्वती स्कूल बदवार सहित कई स्कूलों में 10 फीसदी से अधिक फीस बढ़ाई गई है।
बच्चों की किताब खरीद चुके अभिभावक
निजी प्रकाशकों की किताब व ड्रेस में कमीशन और मनमानी फीस वसूल करने पर लगाम लगाम के लिए जिला प्रशासन की ओर से कवायद तो शुरू कर दी गई है। लेकिन इससे अभिभावकों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। क्योंकि ज्यादातर अभिभावकों ने न केवल किताब और ड्रेस खरीद लिया है। बल्कि स्कूल की ओर से बढ़ी फीस भी जमा कर दी है। अभिभावकों का कहना है कि जिला प्रशासन व शिक्षा अधिकारियों की ओर से यह कवायद जनवरी व फरवरी में शुरू होती तो शायद अभिभावकों को राहत मिलती है।
ब्यूरो रिपोर्ट रीवा (Rituraj Dwivedi)
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