भोपाल.घर की जरूरत पूरी करने और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी में कुछ महिलाओं ने पैसों के लिए अपना शरीर तक बेच दिया। ये 14 महिलाएं जल्द ही इस गंदगी से दूर किसी कंपनी में काम करती नजर आएंगी। भोपाल सेंट्रल जेल में बंद इन महिलाओं की जमानत पुलिस लीगल एड के जरिए करवाएगी, ताकि सेक्स रैकेट के दलदल से दूर वे अपना परिवार पाल सकें। इतना ही नहीं उन्हें अपने-अपने थाने की नगर रक्षा समिति में शामिल होकर पुलिस की मदद भी करनी होगी। दरअसल हाल ही में अयोध्या नगर इलाके में कॉलगर्ल की हत्या के बाद पुलिस ने शहर में ऑपरेशन क्लीन अभियान शुरू किया था। यूं तो ऑपरेशन क्लीन के तहत बीते 46 दिनों में पुलिस ने 30 महिलाओं को गिरफ्तार किया, इनमें चार विदेशी भी शामिल हैं।
जेल जाकर लिया वादा- अब नहीं करेंगी गलत काम
इन 14 महिलाओं की दर्द भरी दास्तान सामने आने के बाद एसपी साउथ राहुल लोढा ने इन्हें सामाजिक परिवेश में दोबारा लौटाने की कवायद शुरू की। शनिवार को वे सेंट्रल जेल पहुंचे और जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे के साथ महिलाओं से बात की। पता चला कि उनकी जमानत कराने वाला भी कोई नहीं है। बच्चे पड़ोसियों के घर से खाना लाकर खा रहे हैं। इस पर एसपी ने सभी महिलाओं से वादा लिया कि अब वे सेक्स रैकेट के दलदल को हमेशा के लिए छोड़ देंगी। एसपी ने बताया कि इन महिलाओं के पुनर्वास के लिए कुछ कंपनियों में बात कर ली गई है। वे इन्हें नौकरी देने के लिए तैयार हैं। जमानत मिलते ही उन्हें योग्यता के मुताबिक काम दिलाया जाएगा।
30 साल से लेकर 52 साल तक की महिलाएं
इनमें से 14 महिलाओं की 14 कहानियां तब सामने आईं, जब इन्हें अशोका गार्डन और एमपी नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया। पता चला कि इनमें से कुछ के पति दुनिया छोड़ चुके हैं तो कुछ उन्हें छोड़कर अलग रह रही हैं। सिर्फ ये 14 ही ऐसी हैं, जिन्हें हालातों ने मां से कॉलगर्ल में तब्दील कर दिया। इनमें 30 साल से लेकर 52 साल तक की महिलाएं शामिल हैं।
इनमें से 14 महिलाओं की 14 कहानियां तब सामने आईं, जब इन्हें अशोका गार्डन और एमपी नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया। पता चला कि इनमें से कुछ के पति दुनिया छोड़ चुके हैं तो कुछ उन्हें छोड़कर अलग रह रही हैं। सिर्फ ये 14 ही ऐसी हैं, जिन्हें हालातों ने मां से कॉलगर्ल में तब्दील कर दिया। इनमें 30 साल से लेकर 52 साल तक की महिलाएं शामिल हैं।
सरकारी वकील मुहैया करवाया जाएगा
एसपी लोढा ने बताया कि इन महिलाओंं की जमानत कराने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में पुलिस लीगल एड के तहत उन्हें सरकारी वकील मुहैया करवाएगी। साथ ही जमानत भी जमा करेगी। संभवत: ये पहला मामला होगा, जब जिस्मफरोशी के पेशे में फंसी महिलाओं के पुनर्वास के लिए पुलिस ने ऐसी कवायद की हो।
मजबूरी की 4 कहानियां
1. बच्चों की परवरिश मुश्किल हो गई थी- शादी के दो साल बाद ही पति ने मुझे छोड़ दिया, दोनों बच्चों की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। पहले घरों में काम किया, लेकिन इतने पैसे नहीं मिलते थे कि हम तीनों की गुजर-बसर हो सके। आखिरकार हारकर एक दिन मैंने अपना शरीर बेच दिया।
2. घर का खर्च चलाना मुश्किल था- शादियों में मैं बर्तन साफ करने का काम करती हूं। एक दिन सौतेली बहन ने मुझे गलत काम के लिए तैयार कर लिया। तीन सौ रुपए मिले थे। बच्चों की परवरिश के लिए पैसों की जरूरत भी रहती थी। इसलिए करीब दो महीने पहले ही मैंने ये काम शुरू किया है।
3. बच्चों की पढ़ाई की खातिर - मेरे पति मजदूरी करते हैं और मैं घरों में साफ-सफाई का काम करती हूं। इससे तो घर का खर्च ही नहीं निकल पाता। मुझे बेटे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी। उधार लेती तो उससे ज्यादा चुकाना पड़ता। एक सहेली ने ये सलाह दी। मजबूरी में ये काम शुरू किया है।
4. इलाज तक के पैसे नहीं थे- पति ने शादी के तीन साल बाद छोड़ दिया। पैसों के लिए ये काम शुरू कर दिया। एक बार पकड़ी गई तो 6 महीने जेल में रही। लौटी तो ये काम छोड़ दिया था। पेट में दर्द रहने लगा, इलाज के लिए पैसे नहीं थे। मजबूरी में फिर से ये शुरू कर दिया।
2. घर का खर्च चलाना मुश्किल था- शादियों में मैं बर्तन साफ करने का काम करती हूं। एक दिन सौतेली बहन ने मुझे गलत काम के लिए तैयार कर लिया। तीन सौ रुपए मिले थे। बच्चों की परवरिश के लिए पैसों की जरूरत भी रहती थी। इसलिए करीब दो महीने पहले ही मैंने ये काम शुरू किया है।
3. बच्चों की पढ़ाई की खातिर - मेरे पति मजदूरी करते हैं और मैं घरों में साफ-सफाई का काम करती हूं। इससे तो घर का खर्च ही नहीं निकल पाता। मुझे बेटे के स्कूल में दाखिले के लिए पैसों की सख्त जरूरत थी। उधार लेती तो उससे ज्यादा चुकाना पड़ता। एक सहेली ने ये सलाह दी। मजबूरी में ये काम शुरू किया है।
4. इलाज तक के पैसे नहीं थे- पति ने शादी के तीन साल बाद छोड़ दिया। पैसों के लिए ये काम शुरू कर दिया। एक बार पकड़ी गई तो 6 महीने जेल में रही। लौटी तो ये काम छोड़ दिया था। पेट में दर्द रहने लगा, इलाज के लिए पैसे नहीं थे। मजबूरी में फिर से ये शुरू कर दिया।
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