2008 से अस्तित्व में आई सेमरिया विधानसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है. सेमरिया । 2008 से अस्तित्व में आई सेमरिया विधानसभा सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है, लेकिन क्या इस बार भी यहां भाजपा कमल की फसल लहलहा पाएगी? सवाल इसलिए क्योंकि यह सीट पूर्व विधायक अभय मिश्रा की बदौलत भाजपा की मानी जाती रही है। अभय मिश्रा अब भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस के साथ हैं। लिहाजा अब यहां के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। साम, दाम, दंड, भेद में माहिर अभय मिश्रा के न रहने पर यह सीट चुनावी दंगल का रूप ले चुकी है। जंगल व जमीन के मामले में धनी सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण का दबदबा रहा है। यही कारण है कि दो पंचवर्षीय से एक ही परिवार में पति- पत्नी बतौर विधायक रह चुके हैं। क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य व सड़क की समस्या अन्य विधानसभा की तरह ही हैं। टिकट बंटवारे के साथ ही चुनावी समीकरण स्पष्ट दिखाई देगा। टिकट वितरण ही यहां जीत की आधारशिला रखेगा। यह सीट अभय मिश्रा के परिवार से निकालना विपक्ष के दलों को मुश्किल साबित हो सकती है। ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति ...
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